नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए हालिया आंकड़े नौकरीपेशा वर्ग के लिए चिंता का विषय बन गए हैं। सरकार के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाताधारकों में से करीब 87 फीसदी कर्मचारियों के पास रिटायरमेंट तक एक लाख रुपये से कम की बचत रहती है। बार-बार निकासी करने की प्रवृत्ति के कारण अधिकांश लोगों के खाते रिटायरमेंट से पहले ही खाली हो जा रहे हैं।
रिटायरमेंट से पहले ही खत्म हो रहा है पैसा
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, ईपीएफ के लगभग 50 फीसदी खाताधारकों के खाते में निकासी के समय 20,000 रुपये से भी कम राशि होती है। वहीं, 75 फीसदी कर्मचारियों के पास 50,000 रुपये से कम और 87 फीसदी सदस्यों के पास रिटायरमेंट के समय एक लाख रुपये से कम बचत होती है। यह स्थिति बताती है कि लोग अपने भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं और छोटी जरूरतों के लिए बार-बार फंड का उपयोग कर रहे हैं। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सरकार ने ईपीएफ से निकासी के नियमों में बदलाव किया है।
अब पीएफ खाते पूरी तरह खाली नहीं हो पाएंगे
केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई ईपीएफओ की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं। अब प्रत्येक पीएफ खाते में कम से कम 25 फीसदी राशि का न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य होगा। यानी, कर्मचारी अब अपना खाता पूरी तरह खाली नहीं कर पाएंगे।
इसके अलावा, नौकरी छोड़ने के बाद पीएफ की पूरी राशि निकालने के लिए अब 2 महीने की बजाय 12 महीने का इंतजार करना होगा। वहीं, पेंशन फंड की निकासी अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने यानी तीन साल कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि अधिकांश लोग पेंशन स्कीम से तुरंत पैसा निकाल लेते थे, जिससे वृद्धावस्था में आर्थिक असुरक्षा बढ़ जाती थी।
जरूरत के समय आंशिक निकासी होगी आसान
जहां सरकार ने फंड की पूरी निकासी पर सख्ती की है, वहीं जरूरी स्थितियों में आंशिक निकासी की प्रक्रिया को पहले से आसान बनाया गया है। इलाज, शादी या शिक्षा जैसी जरूरतों के लिए कर्मचारी आसानी से पैसा निकाल सकते हैं। पिछले वर्ष ईपीएफओ को आंशिक निकासी के लगभग 7 करोड़ आवेदन मिले थे, जिनमें से 6 करोड़ को मंजूरी दी गई। अधिकारी के अनुसार, यह कदम कर्मचारियों की जरूरत और भविष्य दोनों को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
1 नवंबर से शुरू होगा ‘कर्मचारी नामांकन अभियान’
सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए विशेष पहल की है, जो किसी कारण से अब तक ईपीएफ योजना से नहीं जुड़ पाए हैं। 1 नवंबर से ‘कर्मचारी नामांकन अभियान’ शुरू किया जा रहा है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है, जिन्होंने जुलाई 2017 से अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी तो की, लेकिन पीएफ खाता नहीं खुल सका।
इस योजना के तहत नियोक्ता को कर्मचारी के हिस्से का बकाया और उस पर ब्याज जमा करना होगा। हालांकि, यदि कर्मचारी के वेतन से पहले कोई कटौती नहीं हुई है, तो उसे पिछली अवधि के अंशदान से छूट दी जाएगी। सरकार ने नामांकन न करने वाले नियोक्ताओं पर केवल 100 रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया है ताकि अधिक से अधिक लोग इस योजना से जुड़ सकें।
सरकार का कहना है कि यह कदम कर्मचारियों को बचत के प्रति जागरूक करने और भविष्य के लिए एक सुरक्षित आर्थिक ढांचा तैयार करने की दिशा में बड़ा प्रयास है। छोटी-छोटी बचतें ही आगे चलकर एक मजबूत रिटायरमेंट फंड का आधार बन सकती हैं।