:राघवेंद्र पांडेय:
रायपुर। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक जीत के बाद
टीम की फिजियोथैरेपिस्ट और छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी
शुक्रवार को राजधानी रायपुर पहुंचीं। रायपुर के तेलीबांधा में उनका
जोरदार स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में फैन्स, महिला क्रिकेट प्रेमी
और गौ-सेवक उनके सम्मान में जुटे और फूल-मालाओं से उनका अभिनंदन किया।

कवर्धा में जन्मी आकांक्षा ने भारत की वूमेन क्रिकेट टीम के वर्ल्ड कप जीतने में अहम भूमिका निभाई। बतौर फिजियो एक्सपर्ट और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, उन्होंने खिलाड़ियों को फिट और आत्मविश्वासी बनाए रखने का जिम्मा संभाला। उनकी मेहनत और समर्पण की कहानी आज छत्तीसगढ़ की हर बेटी के लिए प्रेरणा है।
आकांक्षा का सफर आसान नहीं था। डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दो बार मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में असफल होने के बाद उन्होंने फिजियोथैरेपी को अपना करियर चुना। उनके भाई अभिनव सत्यवंशी ने उन्हें प्रेरित किया—“टीम इंडिया में भी फिजियोथैरेपिस्ट होता है, और तुझे वहीं पहुंचना है।” यही बात उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गई।
आकांक्षा ने छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट टीम (CSCS) से अपने करियर की शुरुआत की। उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें नेशनल क्रिकेट अकादमी (NCA) बुलाया गया, जहां उन्होंने सीनियर महिला टीम के साथ काम किया। इसके बाद उन्हें टीम इंडिया के मुख्य फिजियो एक्सपर्ट पैनल में शामिल किया गया।

उन्होंने पहले U-19 वर्ल्ड कप 2023 की जीत में योगदान दिया था और अब सीनियर टीम की ऐतिहासिक जीत में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
जनधारा से बातचीत में आकांक्षा ने कहा—
“फिजियो एक्सपर्ट के तौर पर मेरा काम सिर्फ खिलाडियों को फीट रखना नहीं , बल्कि खिलाड़ियों का मनोबल बनाए रखना भी था। 55 दिन तक लगातार मैदान में फिट रहना एक चुनौती थी। आगे आने वाली सीरीज में भी मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी।”
आकांक्षा की सफलता ने न केवल छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि हार किसी सफर का अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत होती है।