Chhattisgarh : गली चौक-चौराहो में शराब….लोगो के मन में उठते बेहिसाब सवाल…आखिर शराबबंदी में इतनी देरी क्यों….
Chhattisgarh : रायपुर : अगले चुनाव 2023 में क्या शराबबंदी सबसे बड़ा मुद्दा होगा? क्या भाजपा मुद्दे पर कांग्रेस की सरकार को घेर पाएगी? क्या कांग्रेस सरकार 2023 चुनाव में जाने से पहले शराबबंदी को लेकर कोई कदम उठा सकती है? ये सारे सवाल आज प्रदेश के सियासी गलियारे में हैं।
Chhattisgarh : इसकी वजह है इस वक्त प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से लेकर राजधानी रायपुर तक अवैध शराब की आमद और खपत जारी है। जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है और बार-बार कांग्रेस को उसका 2018 का चुनाव घोषणापत्र याद दिलाकर झूठा साबित करना चाहती है तो दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार ने शराबबंदी के लिए जिस समिति को बनाया था। उसके कुछ अवलोकन हैं, उसके अपने कुछ तर्क हैं कि क्यों शराबबंदी में देर हो रही है, क्या इसमें अड़चन है?
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छत्तीसगढ़ की सीमा जिन-जिन राज्यों से लगती है वहां-वहां से शराब की अवैध आमद और प्रदेश में फैलता नेटवर्क एक बड़ी समस्या है। चिंता की बात ये नेक्सस प्रदेश की राजधानी रायपुर तक फैला हुआ है। जिस पर विपक्षी दल भाजपा, कांग्रेस सरकार पर पुरजोर तरीके से हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अवैध शराब का कारोबार कांग्रेस विधायकों के संरक्षण में चल रहा है। साथ ही तंज कसा कि कांग्रेस सरकार ने झूठी कसम खाकर गंगाजल का अपमान किया है।
एक तरफ आरोप और सफाई है तो दूसरी ओर ये बात पूरी तरह सच है कि छत्तीसगढ़ का 60% से ज्यादा हिस्सा अनुसूचित क्षेत्र में आता है जहां पर शराबबंदी संभव नहीं है। इसके लिए ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है। ये भी सच है कि इन अनुसूचित इलाकों में महुआ से शराब बनाने पर रोक नहीं लग सकती।
एक कड़वी हकीकत ये भी है कि देश के जिन चुनिंदा राज्यों में शराबबंदी लागू है आज उन्हीं राज्यों में सबसे ज्यादा अवैध शराब बिक्री और जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा दिखता है। इन्हीं सब बातों को आधार बनाकर छत्तीसगढ़ में शराबबंदी समिति के अध्यक्ष सीनियर विधायक सत्यनारायण शर्मा ने ये दावा किया कि
जब तक पूरे देश में शराबबंदी नहीं होगी तक प्रदेश में अवैध बिक्री नहीं रुक पाएगी कांग्रेस ने पलटवार कर ये भी कहा कि भाजपा केवल शराबबंदी को सयासी मुद्दे के तौर पर जिंदा रखना चाहती है।
दरअसल, किसी भी प्रदेश में सरकार के लिए शराबबंदी करना इसीलिए भी कठिन है क्योंकि शराब से राज्य सरकारों को सबसे बड़ा राज्स्व प्राप्ता होता है…छत्तीसगढ़ में भी सालाना 5000 करोड़ रु से ज्यादा का राजस्व सरकार को शराब से मिल रहा है…
ये भी सच है कि कांग्रेस ने 2018 चुनाव के मेनिफेस्टो में 36 वादे किए,अधिकांश वादों पर काम पूरा हुआ लेकिन शराबबंदी लागू नहीं हो सकी हालांकि जानकार मानते हैं कि सरकार 2023 चुनाव से कुछ माह पहले शराबबंदी का निर्णय ले सकती है।