आचार्य चाणक्य की नीति शास्त्र में जीवन, समाज, राजनीति और आचरण से जुड़े गहन सिद्धांत बताए गए हैं। उन्होंने अपनी नीति में कुछ ऐसी जगहों का उल्लेख किया है, जहां जाने या रहने से व्यक्ति के सम्मान, आत्मविश्वास और प्रगति पर नकारात्मक असर पड़ता है।
जहां सम्मान न मिले
चाणक्य के अनुसार, जहां व्यक्ति को आदर और सम्मान नहीं मिलता, वहां रहना उसके आत्म-सम्मान और मानसिक शांति को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। ऐसे माहौल में व्यक्ति हीनभावना और असफलता से घिर जाता है। इसलिए हमेशा ऐसी जगह चुननी चाहिए, जहां सकारात्मकता और प्रोत्साहन का वातावरण हो।
जहां शिक्षा का महत्व न हो
चाणक्य ने शिक्षा को जीवन का सबसे बड़ा धन बताया। उनका कहना था कि जहां विद्या और ज्ञान का सम्मान न हो, वहां रहना या जाना व्यर्थ है। ऐसे स्थान पर व्यक्ति की बौद्धिक प्रगति रुक जाती है।
जहां रोजगार के अवसर न हों
नीति शास्त्र में चाणक्य ने कहा है कि व्यक्ति को वहीं रहना चाहिए जहां काम और प्रगति के साधन मौजूद हों। जिस स्थान पर आजीविका का साधन न हो, वहां जीवन संघर्षमय और भविष्य अंधकारमय बन जाता है। इसलिए ऐसी जगहों से दूर रहना ही समझदारी है।
जहां बुरी संगति हो
चाणक्य ने संगति को जीवन का दर्पण बताया। उनका कहना था कि व्यक्ति को ऐसे स्थानों पर नहीं जाना चाहिए जहां बुरी संगति या गलत आचरण वाले लोग रहते हों। बुरी संगति व्यक्ति के विचार, स्वभाव और निर्णयों को बिगाड़ देती है।
जहां संस्कारों की कमी हो
आचार्य चाणक्य का मानना था कि जिस स्थान पर नैतिकता, सदाचार और संस्कारों का मूल्य न हो, वहां रहना जीवन के लिए हानिकारक है। ऐसे वातावरण में व्यक्ति अपने अच्छे गुणों को खो देता है और नकारात्मक आदतें अपनाने लगता है।
चाणक्य नीति हमें यह सिखाती है कि व्यक्ति का स्थान, संगति और परिवेश ही उसके जीवन की दिशा तय करते हैं। इसलिए सोच-समझकर ही रहन-सहन और वातावरण का चुनाव करना चाहिए।