Chaitra Navratri Maha Ashtami 2023 : महाअष्टमी आज, ऐसे करें मां महागौरी की पूजा, पूरी होगी हर मुराद
Chaitra Navratri Maha Ashtami 2023 : चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का आठवां दिन है, इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी सनातन धर्म में दुर्गा माता की एक रूप हैं। वह नवरात्रि के आठवें दिन पूजी जाती हैं तथा यह देवी का सबसे शुभ दिन माना जाता है।
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Chaitra Navratri Maha Ashtami 2023 : महागौरी का नाम संस्कृत में “महा” और “गौरी” से लिया गया है, जो दोनों ही शब्दों का अर्थ होता है – “महान” और “सफेद”। इस नाम का अर्थ होता है “शुद्ध और महान व्यक्ति जो आकाश में उठी हुई है।”
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मां महागौरी पूजा विधि:-
प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं। मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें। मां महागौरी को काले चने का भोग
अवश्य लगाएं। मां महागौरी का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें। मां की आरती भी करें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
मां महागौरी का स्वरूप:-
इनका ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है एवं निचले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शांत मुद्रा में है।
भोग:-
अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है।
मां महागौरी का प्रिय पुष्प:-
मां का प्रिय पुष्प रात की रानी है। इनका राहु ग्रह पर आधिपत्य है, यही वजह है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है।
मां महागौरी के लिए मंत्र:-
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
महागौरी माता की आरती:-
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।