Champa – Janjgir चांपा -जांजगीर जिले में सम्पन्न हुआ साहित्यकार राष्ट्रीय कवि संगम

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Champa – Janjgir चांपा -जांजगीर जिले में सम्पन्न हुआ साहित्यकार राष्ट्रीय कवि संगम

 

Champa – Janjgir चांपा -जांजगीर ! संभागीय अधिवेशन चम्पा-जांजगीर जिले में सम्पन्न शामिल हुए कई जिलों के साहित्यकार राष्ट्रीय कवि संगम कवियों का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संगठन है। जिसमें विश्वभर के राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि जुड़े हुए हैं। तथा देशभर के समस्त प्रांत सहित जिलों में इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। प्रत्येक वर्ष संस्था का राष्ट्रीय एवं प्रांतीय अधिवेशन देशभर के विभिन्न स्थानों में आयोजित होता रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ प्रांत ने प्रथम बार संभागीय अधिवेशन आयोजित करने का जिम्मा उठाया है।

इसके अंतर्गत बिलासपुर संभाग का अधिवेशन रविवार को जाँजगीर में संपन्न हुआ। इसमें बिलासपुर संभाग के अंतर्गत सभी आठ जिले के साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी सम्मिलित होकर अपनी सहभागिता प्रस्तुत की। इस अवसर पर जिले की ओर से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रांताध्यक्ष योगेश अग्रवाल को आशुतोष आनंद दुबे द्वारा रचित जिला गीत भेंट किया गया तथा जिले से प्रकाशित प्रथम पत्रिका हिन्दीवाहिनी का पुनर्विमोचन तथा वितरण किया गया।

प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि राजीव गांधी पंचायती राज संग्रठन छग के प्रदेश समन्वयक दिनेश शर्मा, कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रीय कवि संग्रम के सह महामंत्री महेश शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वरी यादव रहे। प्रथम सत्र में छंद एवं सजल की कार्यशाला ईश्वरी यादव एवं विजय राठौर द्वारा संचालित की गयी। मुख्य अतिथि दिनेश शर्मा ने बताया साहित्य से समाज को दिशा-बोध होता है और साथ ही उसका नवनिर्माण भी होता है।

द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप प्रांताध्यक्ष योगेश अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महेश शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रान्त उपाध्यक्ष कमल शर्मा, संजय चौधरी, वरिष्ठ साहित्यकार विजय राठौर एवं प्रांत मंत्री दिनेश रोहित चतुर्वेदी थे। इस सत्र में कविता कुंज पत्रिका का विमोचन भी हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि योगेश अग्रवाल ने कहा कवि बनने के लिए संवेदनशीलता बहुत जरूरी है। इसके अलावा अपनी भावनाएँ विचार व्यक्त करने उचित शब्द भी चाहिए। इसलिए शब्दों का भंडार व उनका सही से अर्थ मालूम होना जरूरी है |

कवि को शब्दों का ज्ञान निरंतर बढ़ाना चाहिए। राष्ट्रीय कवि संगम देश के कवियों का सबसे बड़ा संगठन है जो निरन्तर समाजसेवा के साथ समाज एवं राष्ट्र का मार्गदर्शन कर रहा है।
इसमें कोरबा सहित सहित पेंड्रा रायगढ़, मुंगेली, बिलासपुर, सारंगढ़, मुंगेली एवं सक्ती के 50 से ज्यादा कवियों द्वारा काव्यपाठ किया गया।

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