पत्थलगांव (दिपेश रोहिला) – संवेदनहीनता के इस दौर में पत्थलगांव के पुलिस अधिकारियों ने एक बार फिर इंसानियत और मानवता की मिसाल पेश की है। एसडीओपी डॉ. ध्रुवेश जायसवाल, थाना प्रभारी विनीत पांडे और सहायक लोक अभियोजक सौरभ समैया जैन ने सड़क हादसे में घायल युवक की मदद करके उसकी जान बचाई। यह घटनाक्रम रविवार रात का है जब रायगढ़ मार्ग पर एक सड़क दुर्घटना में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था।
घायल युवक को सड़क पर तड़पता देख पुलिस अधिकारियों ने तुरंत अपनी गाड़ी रोकी और उसे अस्पताल पहुंचाया। बताया जाता है कि अज्ञात वाहन ने युवक को टक्कर मार दी और फरार हो गया। घायल युवक की स्थिति इतनी गंभीर थी कि सड़कों पर जाम लग गया, लेकिन वहां मौजूद मूकदर्शक नागरिक और वाहन चालक उसकी मदद करने के बजाय सिर्फ देख रहे थे। वहीं, एंबुलेंस भी समय पर नहीं पहुंची। इस स्थिति को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई की और घायल युवक को अपनी गाड़ी से सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां समय पर इलाज मिलने से युवक की जान बच गई।
अस्पताल के डॉक्टर्स ने बताया कि अब युवक की हालत स्थिर है। अधिकारियों द्वारा दिखाई गई संवेदनशीलता और त्वरित मदद को परिजनों और नागरिकों ने सराहा।
गुड सेमेरिटन योजना का महत्व
सड़क हादसों के बाद घायलों को तुरंत इलाज मिलने से उनकी जान बचने की संभावना सबसे अधिक होती है। इसे ‘गोल्डन आवर’ कहा जाता है, जिसमें पहले एक घंटे के भीतर इलाज मिल जाने से जीवन के लिए खतरा कम हो जाता है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने ‘गुड सेमेरिटन योजना’ शुरू की है, जिसका उद्देश्य लोगों को सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों की मदद करने के लिए प्रेरित करना है।
हालांकि, पत्थलगांव जैसे स्थानों पर यह योजना अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं हो पाई है। यहां अक्सर दुर्घटनाओं के बाद लोग घायल को अस्पताल पहुंचाने की बजाय मूकदर्शक बने रहते हैं, जैसा कि हालिया घटना में हुआ। प्रशासन को गुड सेमेरिटन योजना के प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि लोग इस योजना के महत्व को समझें और जरूरतमंद की मदद के लिए आगे बढ़ें।