सक्ती – गबेल परिवार व्दारा अर्जुनी में श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन व्यास पीठ से कथावाचक राजेंद्र शर्मा ने गोपी बिरह कंस वध रुक्मिणी विवाह की कथा का वर्णन किया। राजेंद्र शर्मा ने भक्तगणों को कथा श्रवण कराते हुए कहा धरती पर कंस का अत्याचार बढ़ गया था इसलिए भगवान श्री कृष्ण को पृथ्वी लोक में अवतरित होना पड़ा कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राही त्राही जब करने लगी, तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेकों बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन कंस भगवान के सामने असफल होता रहा।
11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मरवाने का प्रयास किया, परंतु सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाया कथावाचक राजेंद्र शर्मा ने श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह का वर्णन करते हुए बताया विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रूक्मिणी मन ही मन श्रीकृष्ण को बहुत चाहती थी, परंतु रूक्मिणी के पिता और भाई श्रीकृष्ण से ईर्ष्या करते थे। इसलिए उन्होंने रूकमणी का रिश्ता शिशुपाल से तय कर दिया। जब रूक्मिणी को इस बात का पता लगा तो रुक्मणी ने ब्राह्मण के हाथों श्रीकृष्ण के पास पत्र भेजकर उनसे विनती की मैंने आपको अपना प्राणनाथ मान लिया है और मैं आपसे ही विवाह करूंगी और आप गौरी पूजा के दौरान मुझे हरण कर द्वारका पूरी ले चलें
“संदेश पाकर श्रीकृष्ण ने ऐसा ही किया और वे रूक्मिणी का हरण करके ले गए और द्वारकापुरी में रुक्मणी के साथ विवाह किया कथा स्थल में सैकड़ो की संख्या में भक्तगण कथा श्रवण कर महा आरती कर पुण्य का लाभ ले रहे हैं