कोरिया। सोनहत
पार्क परिक्षेत्र में स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में पदस्थ फॉरेस्ट गार्ड महेंद्र पैकरा पर गंभीर आरोप लगे हैं। चौकीदार रामप्रसाद ने आरोप लगाया है कि वह पिछले डेढ़ साल से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट गार्ड ने उन्हें चौकीदार के रूप में काम कराने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन आज तक उन्हें उनकी मेहनत का कोई मुआवजा नहीं मिला है।
रामप्रसाद ने बताया, “मैं डेढ़ साल से काम कर रहा हूं, हर महीने ₹5000 की दर से। लेकिन, पैसे का एक भी भुगतान नहीं हुआ है। अब मैं भूखे मरने की कगार पर हूं। अगर मुझे जल्द से जल्द मेरी मेहनत का उचित मुआवजा नहीं मिला, तो मुझे खाने-पीने में दिक्कत होगी।”
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, जो कोरिया जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ वन्य जीवन के संरक्षण का कार्य भी किया जाता है। इस उद्यान में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का सम्मान करना आवश्यक है।
वेतन न मिलने की समस्या केवल रामप्रसाद की नहीं है; ऐसे कई कर्मचारी हैं जो अपनी मेहनत का उचित मुआवजा नहीं प्राप्त कर रहे हैं। वनकर्मियों के बीच इस मुद्दे को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है, जिससे न केवल उनके जीवन पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि वन संरक्षण के कार्यों पर भी नकारात्मक असर डाला जा सकता है।
इस मामले में उचित कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है, ताकि न केवल रामप्रसाद बल्कि अन्य सभी कर्मचारियों को भी उनके अधिकार मिल सकें और उन्हें उनकी मेहनत का उचित मुआवजा मिल सके। इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रशासन को अपने कर्मचारियों के प्रति और अधिक संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता है।