बेर के स्वाद से ‘बोर’ हुए कारोबारी…

दूसरे प्रदेशों से मांग नहीं, बांग्लादेश को निर्यात बंद…

राजकुमार मल, भाटापारा- बेर 1000 रुपए क्विंटल। यह तब, जब निर्यात बंद है। राजस्थान की रुचि नहीं। सिर्फ मध्य प्रदेश ही रुझान दिखा रहा है। अनिश्चित भविष्य को देखते हुए इस बरस बेर संग्रहण और भंडारण से हाथ खींचने का मन बना रहे हैं, प्रदेश के वनोपज कारोबारी।

बेर में नई फसल की आवक शुरू हो चली है लेकिन बीते बरस का भरपूर भंडारण और कमजोर मांग को देखते हुए वनोपज बाजार खरीदी को लेकर अनिच्छुक है। पहली कोशिश बीते बरस की उपज के निपटान की है। इस बीच मध्य प्रदेश के बेर पाउडर बनाने वाली इकाइयों की हल्की मांग निकलती नजर आ रही है।

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बंद है निर्यात

बांग्लादेश एकमात्र ऐसा उपभोक्ता क्षेत्र है, जो छत्तीसगढ़ से बेर की बड़ी मात्रा में खरीदी करता है लेकिन इसने बीते दो बरस से छत्तीसगढ़ से बेर की खरीदी बंद कर रखी है। इसलिए भंडारित बेर वनोपज कारोबारियों के लिए परेशानी की वजह बना हुआ है। संकेत आगे भी निर्यात बंद रहने के बने हुए हैं। इसलिए बेर के कारोबारियों ने नई फसल की खरीदी से फिलहाल हाथ खींचे हुए हैं।

राजस्थान नहीं दिखा रहा रुचि

बीते बरस राजस्थान ने छत्तीसगढ़ से 700 रुपए क्विंटल की दर पर बेर की खरीदी की थी। अचार बनाने के लिए खरीदी करने वाले राजस्थान ने इस बरस नई फसल को लेकर पूछताछ तो की हुई है लेकिन खरीदी को लेकर रुझान नहीं दिखा रहा है। इसलिए भी छत्तीसगढ़ में बेर संग्रहण गति नहीं ले पा रहा है। संभावना आगे भी ऐसे ही बने रहने की है।

एकमात्र मध्य प्रदेश ही

मध्य प्रदेश का छतरपुर। यहां सूखे बेर से पाउडर बनाने वाली कई इकाइयां है, जो अंतरप्रांतीय कारोबार करतीं हैं। इसकी ही खरीदी निकली हुई है। लेकिन वनोपज बाजार इस मांग की मात्रा को पर्याप्त नहीं मान रहा है। इसलिए संग्रहण की बजाय भंडारित उपज के निपटान के प्रयास किया जा रहे हैं। जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक नई फसल में खरीदी नहीं करने की योजना है।

संग्रहण का विचार नहीं

भाव भले ही तेज हों लेकिन खरीदी की जैसी स्थिति बनी हुई है, उसे देखते हुए नई फसल की खरीदी का विचार नहीं है। पहली कोशिश बीते बरस की भंडारित उपज के विक्रय की है।
– सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर

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