:हिंगोरा सिंह:
देश भर में निजी स्कूलों की मनमानी की खबर आये दिन आते रहती है.
निजी स्कूलों की तानाशाही से पालक हमेशा परेशान रहते हैं. लेकिन बच्चों को
अच्छी शिक्षा देने के लिए वे इन स्कूलों की सारी मनमानी को झेलते हैं.
किंतु कई पालक ऐसे भी हैं जो इन स्कूलों की हिटलरशाही के खिलाफ
आवाज उठाते है और इन स्कूलों को नियम कायदा सिखाते हैं. ऐसा ही एक
मामला शहर के एक निजी स्कूल का सामने आया है.

अंबिकापुर के रहने वाले राहुल अग्रवाल ने बिड़ला ओपन मांइड स्कूल के खिलाफ पीएमओ से शिकायत की थी. उन्होने बताया की उनकी बेटी इस स्कूल में पढ़ती है. यहां स्कूल प्रबंधन द्वारा अपनी दुकाने फिक्स कर दी. सभी किताबें निजी प्रकाशकों की है. एक ही दुकान से पुस्तकें ड्रेस अनिवार्य कर दिया गया है.

एक पतली सी 24 पेज की किताब 650 रूपये की है. दुकान से किताबों से पूरा सेट लेना अनिवार्य है. आधी किताबें नहीं मिलेंगी और न ही फोटो कॉपी चलेगी. इस तरह से अभिभावक पर अनुचित दबाब डाला जा रहा है. इसके साथ ही उन्होने नर्सरी से कक्षा 08 वीं तक लागू की गई पुस्तकों की मूल्य सहित सूची भी प्रस्तुत की.
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने सरगुजा कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिख जांच कर आवश्यक कार्यवाही करने को निर्देशित किया था.
पीएमओ से मिले आदेश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की टीम ने मामले की जांच की तो पाया कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा विद्यालय का छ0ग0 राज्य बोर्ड से सम्बद्धता होने पर भी छ०ग० एस०सी०ई०आर०टी की पुस्तकें लागू नहीं करके निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लागू करना,

कक्षा नर्सरी से आठवी तक सभी पुस्तकें, स्टेशनरी, स्कूल गणवेश केवल एक ही फर्म “किताब घर” भट्ठी रोड केदारपुर अम्बिकापुर में उपलब्ध होने तथा कम पृष्ठों की पुस्तकों का अत्यधिक मूल्य निर्धारित कर विक्रय करना विद्यालय प्रबंधन द्वारा अनुचित लाभ हेतु लिया जा रहा है.
इसके बाद डीईओ कार्यलय ने विद्यालय के प्रबंधक और प्रार्चाय को कारण बताओ नोटिस जारी किया. जिस पर संतोषप्रद जवाब नही दिया गया. जवाब से असंतुष्ट होकर डीईओ ने स्कूल पर 1 लाख रूपए का जुर्माना लगाया और चेतावनी दी कि उपरोक्त कृत्य की पुनरावृत्ति भविष्य में न किया जावे। अन्यथा संस्था की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी.