Bilaspur High Court : बेटी को बेटे के समान बनाया गया है अधिकार संपन्न
Bilaspur High Court : बिलासपुर। संपत्ति विवाद के एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की संशोधित धारा छह, संशोधन से पहले या बाद में पैदा हुई बेटी को बेटे के समान अधिकारों का दर्जा दिया गया है।
संपत्ति की बिक्री के बाद बेटे व बेटियों ने अपना दावा पेश करते हुए निचली अदालत में याचिका पेश की थी। मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पूर्व में की गई बिक्री को शून्य घोषित कर दिया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए खरीदार तुलाराम पटेल ने हाई कोर्ट में अपील पेश की थी। जस्टिस भादुड़ी व जस्टिस रजनी दुबे ने पांच अक्टूबर 2018 को सातवें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बिलासपुर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका व अपील की एक साथ सुनवाई प्रारंभ की। वादी बुधेश्वर नायक एवं अन्य ने तुलाराम पटेल द्वारा दायर सिविल सूट को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने तुलराम की अपील को खारिज कर दिया था। तुलाराम पटेल ने स्थायी निषेधाज्ञा के लिए एक मुकदमा दायर किया था और बुधेश्वर नायक और अन्य ने बिक्री विलेख को रद करने की मांग को लेकर याचिका पेश की थी। चूंकि संपत्ति आपस में एक ही थी, इसलिए एक सामान्य निर्णय और डिक्री द्वारा दोनों मुकदमों का फैसला करने का निर्णय कोर्ट ने किया है।
Bilaspur High Court : क्या है मामला
बुधेश्वर नायक और अन्य ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, बिलासपुर के समक्ष वाद दायर कर कहा कि मेहरचंद नायक (बुद्धेश्वर के पिता) द्वारा तुलाराम के पक्ष में एक विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है। मेहरचंद नायक के पास बिक्री विलेख निष्पादित करने का विशेष अधिकार नहीं था। तुलाराम पटेल, जो वाद भूमि के क्रेता थे, ने निषेधाज्ञा के लिए वाद दायर किया कि उन्होंने वाद भूमि को पंजीकृत छह विक्रय विलेख द्वारा खरीदा है, इसलिए विक्रेता या उनके उत्तराधिकारियों को कब्जे में हस्तक्षेप करने का आदेश दिया जाए।
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बुधेश्वर नायक एवं अन्य ने कहा गया कि तुलाराम पटेल ने मेहरचंद नायक को रजिस्ट्रार कार्यालय ले गए और धोखाधड़ी से बिक्री विलेख पर हस्ताक्षर करा लिया है। भूमि स्वामियों का कहना था कि मेहरचंद नायक ही अकेले जमीन के मालिक नहीं थे। यह पूरी संपत्ति उनके पिता से मिली थी। उक्त संपत्ति के हम सब दावेदार हैं। वर्ष 1975 में संपत्ति का विभाजन हुआ। दस्तावेज पेश करते हुए बताया कि मेहरचंद नायक ने संपत्ति अपनी कमाई से अर्जित नहीं की है और यह स्वअर्जित संपत्ति नहीं है। मेहरचंद नायक के पास बिक्री विलेख निष्पादित करके संपत्ति को अलग करने का कोई अधिकार नहीं है। तुलाराम पटेल ने 15,64,700 रुपये की बिक्री का भुगतान नकद करने की जानकारी कोर्ट को दी। इस संबंध में वह ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया। ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए हाई कोर्ट ने अपील खारिज कर दी है। वास्तविक भूमि स्वामियों के कब्जे में उक्त जमीन देने का निर्देश दिया है।
Bilaspur High Court : इनके पक्ष में आया फैसला
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बुद्धेश्वर नायक पिता मेहरचंद नायक, गायत्री नायक पत्नी भरतलाल नायक, कुमारी संजना नायक पिता स्व भरतलाल नायक, अंकित नायक पिता स्व भरतलाल नायक।