राजकुमार मल
भाटापारा। बी एड कॉलेज और ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना से खुलेंगे विकास के नए द्वार। 8 नवंबर की दोपहर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जिला मुख्यालय में जब यह कह रहे थे, तब संयुक्त जिला भाटापारा खामोशी से सब कुछ देख और सुन रहा था। नाराज नहीं,अब हताश हो चला है शहर,जमकर की जा रही उपेक्षा से। अब प्रतीक्षा उस समय की है जब उपेक्षा का जवाब,उपेक्षा से ही दिया जाएगा।
जिला मुख्यालय में बीएड कॉलेज और ट्रांसपोर्ट नगर के साथ में कई और महत्वपूर्ण योजनाएं। उम्मीद थी संयुक्त जिला को अपने हिस्से की घोषणा की लेकिन हाथ आया हमेशा की तरह शून्य । चुप है पक्ष विपक्ष के वह विज्ञप्तिवीर जनप्रतिनिधि जो कुछ छोटी-मोटी योजनाओं का बखान करते रहे हैं। वैसे उपेक्षा का आदी हो चला है अपना शहर। देख चुका है स्वतंत्र जिला की मांग को लेकर दोहरा रवैया को लेकिन मुख्यमंत्री का प्रवास था, इसलिए आस थी भाटापारा नागरिको को लेकिन निराशा ही हाथ आई।
एक बार फिर अपात्र
पूरी पात्रता रखता था शहर, नई योजना की घोषणा में समान भागीदारी की लेकिन इस बार भी प्राथमिकता में बलौदा बाजार ही रहा, नया जिला स्थापना की तरह। इसके पहले भी कई ऐसे अवसर आते रहे जिनमें शहर अपनी उपेक्षा होते देखता रहा। खेल हों या अन्य शासकीय आयोजन। हमेशा से शहर को दूर ही रखा गया। आखिर कब तक ऐसी अनदेखी और उपेक्षा का दंश झेलते रहेंगे? शहर जानना चाहता है।
कब ध्यान देंगे इस पर ?
दाल, चावल और पोहा। कृषि उपज आधारित इन उद्योगों की वजह से देश में खूब नाम है शहर का। यह उद्योग, कृषि क्षेत्र को मजबूत किए हुए हैं। इन्हीं के दम पर दक्षिण पूर्व मध्य रेल को माल लादान का अपना हर साल का लक्ष्य पूरा करता रहा है। भरपूर राजस्व देने वाला यह क्षेत्र आज भी उपेक्षा के घेरे में है जबकि इसे फूड हब के रूप में विकसित किए जाने की जरूरत है।
टूट रही आस इनसे
पक्ष हो या विपक्ष। हर जनप्रतिनिधि ने शहर को खूब छला है। ताजा मामला स्पष्ट प्रमाण के रूप में रखा जा सकता है,तो बदहाल सड़कें, अतिक्रमण युक्त गांव और शहर,हाईटेक बस स्टैंड,इनडोर स्टेडियम,होलसेल मार्केट,ट्रांसपोर्ट नगर, सर्व सुविधा युक्त गार्डन। यह कुछ ऐसे जीवंत मुद्दे हैं, जिन पर फौरन ध्यान देने के साथ सुधार की जरूरत है लेकिन हर मामले में जैसी भूमिका इनकी रही है,उससे कुछ भी बेहतर की आस इनसे छोड़ रहा है शहर। इसलिए खामोश है शहर और हताश भी।