राजकुमार मल
Bhatapara Market : कमजोर पुष्पन से चरोटा में मजबूती को बल,3200 से 3300 रुपए क्विंटल

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Bhatapara Market : भाटापारा– कमजोर पुष्पन बता रहा है कि इस वर्ष चरौटा का उत्पादन घट सकता है। इसलिए बीते बरस की भंडारित फसल को बेहतर भाव मिलने की स्थितियां बनती नजर आ रहीं हैं। वनोपज बाजार निर्यात खुलने की राह देख रहा है।
मैदानी क्षेत्र और बस्तर, जशपुर और सरगुजा के वनांचलों से आ रही खबरों पर नजर रखे हुए चरौटा निर्यातकों को इस बरस बेहतर भाव मिलने की उम्मीद है क्योंकि पौधों में फूलों की संख्या कम है। असर सीधे-सीधे कमजोर फल्लियों के रूप में सामने आएगा।
इसलिए बढ़ सकती है कीमत
बस्तर, सरगुजा और जशपुर। यहां हर बरस अपेक्षित मांग में चरोटा का संग्रहण किया जाता है। इस वर्ष पौधों में फूल तो लगे हुए हैं लेकिन बीते साल की तुलना में लगभग आधी ही बताई जा रही है। फलियों का लगना मध्य चरण में है, पर स्थिति चिंताजनक है। बीते दो सत्र से 5000 से 8000 टन उत्पादन होता रहा है। ताजा स्थितियों में इसमें लगभग 30% गिरावट की आशंका है।
निर्यात की प्रतीक्षा
जापान, ताइवान, मलेशिया और चीन। यह चार ऐसे प्रमुख उपभोक्ता हैं, जिनकी खरीदी छत्तीसगढ़ के चरोटा में रहती है। निर्यात की राह देख रहा वनोपज कारोबार, अब विदेश व्यापार विभाग से संपर्क साध रहा है ताकि भंडारित उपज की रवानगी इन देशों के लिए की जा सके। फिलहाल कमजोर फसल की खबरों के बीच बीते सत्र की फसल में 3200 से 3300 रुपए क्विंटल के भाव बोले जा रहे हैं।
बनती हैं यह सामग्री
ग्रीन-टी, कॉफी पाउडर, आइसक्रीम और चॉकलेट तो चरोटा से यह देश बनाते ही हैं। साबुन, शैंपू और सौंदर्य प्रसाधन की सामग्रियां भी बनाई जाती हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण भी होता है। कोरोना महामारी के दौरान चीन ने छत्तीसगढ़ से अच्छी मात्रा में चरोटा की खरीदी की थी क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षित मात्रा में होना पाया गया है।
कमजोर है फसल
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Bhatapara Market : तैयार हो रही फसल से इस बरस चरोटा का उत्पादन कमजोर रहने की आशंका है क्योंकि फूल और फल्लियों की संख्या उत्साह बढ़ाने वाली नहीं है। इसलिए निर्यात खुलने के बाद पहली प्राथमिकता भंडारित उपज को निकालने की होगी।
– सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर