Bhanupratappur News : भ्रष्टाचार को छुपाने नियमो को बदल रहे वन अफसर
सूचना के अधिकार अधिनियम की अवहेलना
Bhanupratappur News : भानुप्रतापपुर। शासकीय कार्य मे पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य शासन के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 लागू की गई थी, लेकिन वन विभाग के बड़े अधिकारियों के द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारियों को बचाते हुए नियमकायदे को तोड़मड़कर खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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Bhanupratappur News : ऐसा ही एक मामला कांकेर वनवृत का देखने मे आया है। शिकायतकर्ता राजेश रंगारी भानुप्रतापपुर ने इसकी शिकायत राज्यपाल, राज्य सूचना आयोग एवं उच्च अधिकारियों से लिखित में कई है।
शिकायतकर्ता श्री रंगारी ने जानकारी देते हुए बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कोंडागांव वन मंडल कार्यालय में जाकर 28 मार्च 2023 को आवेदन व 10 रुपये का चालान मुख्य शीर्ष 0070, प्रशासनिक सेवा उप मुख्य शीर्ष (60) अन्य सेवा लघु शीर्ष 118 के मूलप्रति प्रस्तुत करते हुए जानकारी मांगी गई थी, लेकिन डीएफओ
रमेश कुमार जांगड़े द्वारा आवेदन को धारा 6 (1) के तहत गलत बताते हुए खारिज कर दिया गया एवं पत्र के माध्यम से लेख करते हुए चालान को ही गलत बता दिया।
असन्तुष्ट होकर न्याय के आस में शिकायतकर्ता जब विभाग के उच्च अधिकारी के पास पहुंचा तो वहाँ उन्हें निराशा ही हाथ लगी। उन्होंने बताया कि जन सूचना अधिकारी से
जानकारी नही मिलने से प्रथम अपील अधिकारी श्री राजू अगासिमनी मुख्य वन संरक्षक वनवृत कांकेर कार्यालय के समक्ष 2 मई को आवेदन प्रस्तुत की जिसकी सुनवाई 30 मई को किया गया, सुनवाई आदेश के तहत मेरे पक्ष एवं चालान हेड मुख्य शीर्ष 0070, प्रशासनिक सेवा उप मुख्य शीर्ष (60) अन्य सेवा लघु शीर्ष 118 को गलत बताते हुए व
मेरे बातो को अनसुना करते हुए छत्तीसगढ़ शासन प्रशासनिक विभाग मंत्रालय के अधिसूचना एफ -1/ 2005/1/6 के निर्धारित मद का हवाला देते हुए मुख्य शीर्ष 0070 उप मुख्य शीर्ष 800 सही बताकर
अपने करीबी डीएफओ श्री रमेश कुमार जांगड़े कोंडागांव के पक्ष में आदेश सुनाते हुए मेरा आवेदन को नस्तीबद्ध कर दिया गया।
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जबकि
जबकि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अधिसूचना रायपुर दिनांक 31.01.2012 क्रमांक एफ 2-4/2010/ 1-6 सूअप्र :: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ( क्र. 22 सन् 2005 ) की धारा 27 की उपधारा (2) के खण्ड (ख) एवं (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राज्य सरकार एतद् द्वारा, छत्तीसगढ़ सूचना का अधिकार ( शुल्क एवं मूल्य विनियम ) नियम 2005 में निम्नलिखित और संशोधन करती है:-
संशोधन
उक्त नियम में :-
1. नियम 3 में शब्द “या नॉन ज्युडिशियल स्टाम्प या मनीआर्डर” के पश्चात् एवं शब्द “सहित” के पूर्व, शब्द “या डिमांड ड्राफ्ट या बैंकर्स चैक (1000 तक के अरेखांकित तथा 1000 से अधिक के
(रेखांकित) या भारतीय पोस्टल आर्डर” अन्तःस्थापित किये जाएं, एवं शब्द “मुख्य शीर्ष 0070 – उप-मुख्य शीर्ष-800 अन्य प्राप्तियां के स्थान पर मुख्य शीर्ष 0070- अन्य प्रशासनिक सेवायें, उप-मुख्य शीर्ष (60) – अन्य सेवायें, लघु शीर्ष (118) – सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 – के अधीन प्राप्तियां”, प्रतिस्थापित किए जाएं।
बता दे कि वन विभाग में वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों राशि प्राप्त होती है, लेकिन इनका कुछ कार्य को छोड़कर अधिकांश कार्य धरातल को छोड़कर केवल कागजो में पुर्ण कर लिया जाता है यही कारण है कि सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी नही दी जाती है, बल्कि आवेदक को गुमराह कर परेशान किया जाता है