Bhatapara पूछ रहे किसान, आखिर कब तक झेलते रहेंगे यह परेशानी

Bhatapara

राजकुमार मल

 

Bhatapara  पूछ रहे किसान, आखिर कब तक झेलते रहेंगे यह परेशानी

 

 

 

Bhatapara  भाटापारा– प्रांगण लबालब। निपटान में लगता लंबा समय। रबी सत्र में हमेशा से आती रही है यह समस्या। रबी फसल लेकर आ रहे 5 जिले के किसानों का सवाल-आखिर कब तक झेलते रहेंगे यह परेशानी ?

रबी फसल की चौतरफा आवक के बाद व्यवस्था संभाल पाने में एक बार फिर से मंडी प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। उपाय हैं, व्यवस्थित कामकाज की लेकिन जो इच्छा शक्ति होनी चाहिए, उसका सर्वथा अभाव देखा जा रहा है। इसलिए विवशता में प्रांगण से बाहर कृषि उपज का विक्रय करना पड़ रहा है।

Bhatapara   इसके प्रयास नहीं

 

प्रांगण में मजदूरों की जो संख्या बताई जा रही है, उसे बेहद कम माना जा रहा है। सुझाव दिए जा रहे हैं, मांग भी की जा रही है कि संख्या में बढ़ोतरी आवश्यक है लेकिन नहीं माने गए सुझाव, न स्वीकार की गई मांग। फलत: काम का निपटान 24 घंटे का लंबा समय ले रहा है। अस्थाई तौर पर ही सही, मजदूरों की व्यवस्था करनी चाहिए।

Bhatapara   इतनी है क्षमता

 

पांच जिलों की कृषि उपज वाली इस मंडी प्रांगण की क्षमता 30000 क्विंटल रोजाना की है। वह भी तब, जब निपटान समय पर होता रहे लेकिन हालात काबू से इसलिए बाहर हो चले हैं क्योंकि व्यवस्थागत खामियों को दूर करने के प्रयास कभी भी गंभीरता से नहीं किए जाते। यही वजह है कि किसान हर साल परेशान होते हैं।

Bhatapara   विवशता में यह काम

 

अव्यवस्था को खत्म करने को लेकर जैसी अरुचि दिखाई जा रही है, उसे देखते हुए किसानों को कृषि उपज का विक्रय बाहर करना पड़ रह है।राहत बस इतनी ही है कि समय पर काम हो जा रहा है, तो इकाइयों में उत्पादन समय पर हो रहा है। इससे उपभोक्ता राज्यों की मांग समय पर पूरी की जा रही है।

प्रयास कर रहें हैं

 

 

चौतरफा आवक और लगातार अवकाश की वजह से मजदूरों की उपस्थिति बेहद कमजोर है। स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। व्यवस्थित कामकाज के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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-एस एल वर्मा, सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा

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