Bhanupratappur हवन पूर्णाहुतिव महाभण्डारे के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान का हुआ समापन

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Bhanupratappur श्रीमद्भागवत कथा एवं श्रीराधा कृष्ण प्राणप्रतिष्ठा उत्सव

 

Bhanupratappur भानुप्रतापपुर। सांई बाबा सेवा समिति एवं नगरवासी सहित क्षेत्रवासियो के जन सहयोग से 07 दिनों चले श्रीमद्भागवत कथा एवं श्री राधा कृष्ण प्राणप्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान गुरुवार को हवन पूजन व महाभण्डारे प्रसाद वितरण के साथ सम्पन्न हुआ। सात दिवसीय इस भव्य धार्मिक अनुष्ठान को सम्पन्न कराने में अयोध्या व वृंदावन धाम के आचार्य पंडित सदाशिव तिवारी, पंडित अजय शर्मा, पंडित आदर्श तिवारी, पंडित कुलदीप तिवारी,आदित्य ओझा, पंडित अविनाश महराज के द्वारा सम्पन्न कराया गया।

कथा व्यास पंडित अविनाश महाराज ने कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। कथा यज्ञ के पश्चात तुलसी वर्षा की महिमा यदि पूजा अर्चना के दौरान कोई भूलचूक अपराध हो जाये तो गोविंद क्षमा याचना करते है। जिस प्रकार से श्रीमद्भागवत भगवान कृष्ण का पूरा स्वरूप माना गया है, ठीक उसी प्रकार गीता को भगवान का मुख कहा गया है। गीता पाठ से भी भगवान को पूर्णआहुति होना बताया गया है।

उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है।

Bhanupratappur  यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। अविनाश महराज ने बताया कि सनातन धर्म मे ब्राम्हण को सर्वोपरि माना गया है। स्वयं भगवान भी ब्राम्हण से आशीर्वाद लेते है। वही भगवान की कथा को श्रवण करते हुए हृदय में उतारना चाहिए आत्मसात करने से हो फली होना बताया गया है।

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उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्व सार होता है जो मन बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। दोपहर से देर रात्रि तक महाभण्डारे में सैकड़ों लोग प्रसाद ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किये।

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