Bhagwat Katha श्रीमद्भागवत कथा आनंद का केंद्र है, देखिये VIDEO

Bhagwat Katha

Bhagwat Katha भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है।

 

 

Bhagwat Katha सक्ती !  जांजगीर के कलेक्टर रोड मोती मंगलम में बलौदा के मिश्रा परिवार द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है। जिसके कथा वाचक तिल्दा नेवरा वाले आचार्य पं संदीप चौबे, और इस कथा के मुख्य यजमान अंजनी मिश्रा,गोविंद प्रसाद मिश्रा है।

सात दिवसीय आयोजित श्री मद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य पं संदीप चौबे ने भक्त प्रहलाद चरित्र, भरत चरित्र, पृथु चरित्र व हिरण्यकश्यप वध, नरसिंह अवतार व समुद्र मंथन का वर्णन किया। कथावाचक ने व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र है आनंद।

Bhagwat Katha आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरण्याक्ष ने अपनी आंखें खोली।

ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा- प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया।

 

 

 

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हिरणकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरण्याक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर वध किया। इस कथा के प्रसंग को श्रवण करने के लिए भक्त देर रात तक भक्ति के सागर में गोते लगाते रहे। इस दौरान वर्षा मिश्रा प्रदीप (रिंकू )मिश्रा अनुभूति मिश्रा,संदीप मिश्रा, मंजूषा मिश्रा,दीपांशु मिश्रा सहित ग्रामवासी मौजूद रहे।

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