श्रीमद देवी भागवत कथा
भानुप्रतापपुर। मनुष्य कितना भी बड़ा क्यो न हो जाये वह जीवन मे हमेशा सीखता ही है। सीखने की प्रक्रिया कभी पूरी नही होती है।
सुभाषपारा में आयोजित श्रीमद देवी भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को प्रवचनकर्ता छ.ग, विभुति, बाल विदुषि शुभ आरती दीदी ने कथा के माध्यम से बताया कि श्रीमद देवी भागवत पुराण की तुलना अमृतकलश से भी नही किया जा सकता दोनो के यदि तराजू में तुलना किये जायें तो श्रीमद देवी भागवत पुराण विशाल है। अमृतकलश मात्र शरीर को अमर करती है जबकि श्रीमद देवी भागवत पुराण कई पीढ़ी व जन्मो का उद्धार करती है।
अनेक व अनन्त में क्या अंतर है इस पर दीदी जी ने कहा कि अनेक को गिना जा सकता है जबकि अंनत को गिना नही जा सकता है। अनन्त जीवन के पुण्य प्रताप से ही श्रीमद देवी भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलता है।
कथा से ही जीवन की व्यथा दूर होती है, लेकिन आज कल लोग कथा सुनकर उन्हें आत्मसात करने के बजाय मनोरंजन के दृष्टि से देखते है। ऐसे में भला कैसे जीवन की व्यथा दूर होगी। कथा स्थल पर माँ भगवती विराजमान रहती है।
दीदी जी ने कहा कि माँ से बड़ा कोई साथी नही होता है, शिशु के जन्म से लेकर जीवन के हर पहलू पर माँ साथ रहती हैं। जैसे दूध- गौमाता से, विद्या- सरस्वती माता से , जल -गंगा माता, धन-लक्ष्मी माता, शक्ति -दुर्गा एवं खेलना कूद कर बड़ा होना के लिए धरतीमाता का सहारा होता है।
श्रीमद देवी भागवत के तीसरे दिवस की कथा
दयग्रीवा अवतार एवं विष्णु द्वारा अम्बा यज्ञ महाशक्ति, महालक्ष्मी महासरस्वती का दिव्य दर्शन की कथा विस्तारपूर्वक बताई।
भीषण गर्मी को देखते हुए कथा का समय 4 बजे से शाम 7 बजे तक रखा गया है। सुभाषपारा में जन सहयोग से आठ दिवसीय श्रीमद देवी भागवत के आयोजन में भागीरथी प्रयास करने वाले में कैलाश शर्मा,रमेश शर्मा, राजेश जैन, विनोद जयसवाल, महेश जैन, तानु यादव,सरोजिन विश्वास, प्रकाश ठाकुर, प्रमिला दास, ललित जैन, रीता जयसवाल, कमला सिह, एन रंजीता, कौशल शांडिल्य, रीता सिह, अन्नपूर्णा ठाकुर, निर्मला यादव, सुशीला नायक किया जा रहा है।