Bastar District Headquarters : दोनों बड़े अस्पतालों की सोनोग्राफी मशीनें एकसाथ खराब होने पर उठ रहे सवाल, लगता है कुछ दाल में काला

Bastar District Headquarters :

Bastar District Headquarters : मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और जिला चिकित्सालय में अव्यवस्था 

Bastar District Headquarters : जगदलपुर। बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर स्थित दोनों बड़े सरकारी अस्पतालों की सोनोग्राफी मशीनें कई माह से खराब पड़ी हैं। इसके चलते मरीजों को सोनोग्राफी कराने के लिए भटकना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी सोनोग्राफी की सुविधा बहाल करने की दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में सोनोग्राफी की मशीन खराब होने से पूरे बस्तर संभाग के विभिन्न गांव कस्बों से रोज पहुंचने वाले सैकड़ों मरीज परेशान परेशान हो रहे हैं। महारानी अस्पताल में पूरे जिले से रोज हजारों मरीज ईलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन वहां सोनोग्राफी की व्यवस्था नहीं होने से मरीजों की सोनोग्राफी कराने में असुविधा और बड़ी परेशानी हो रही है।

Bastar District Headquarters : डिमरापाल स्थित मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में भी ही हाल है। मेडिकल कॉलेज की भी सोनोग्राफी मशीन महिनों से बंद पड़ी है। महारानी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संजय प्रसाद तो जल्द ही समस्या दूर करने की कह रहे हैं, लेकिन डिमरापाल मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक जानकारी देना तो दूर, फोन तक रिसीव नहीं करते। प्रदेश सरकार सुदूर वनांचलों में रहने वाले आदिवासियों को संभाग, जिला और ब्लॉक मुख्यालयों में ही उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। सरकारी अस्पतालों को सभी तरह की सुविधाओं और व्यवस्थाओं से लैस किया गया है।

प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों और वहां कार्यरत डॉक्टरों एवं अन्य स्टॉफ के वेतन पर हर माह करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन सरकारी डॉक्टर आदिवासियों और आम ग्रामीणों को सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं से वंचित रखने में लगे हैं। सरकारी अस्पतालों के प्रभारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते जनता को तकलीफ हो रही है।

जगदलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सुकमा जिले के अंतिम छोर के गांवों से लेकर नारायणपुर जिले के सुदूरवर्ती अबूझमाड़ इलाके की बिहड़ों में स्थित गांवों के मरीज भी ईलाज के लिए पहुंचते हैं। बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव और बस्तर जिलों के मरीज भी इस मेडिकल कॉलेज से लाभान्वित होते आए हैं। वहीं महारानी अस्पताल तो बस्तर जिले के आदिवासियों के लिए संजीवनी का काम करता आया है, मगर इस संजीवनी को छीनने पर सरकारी डॉक्टर आमादा हैं।

दाल में कुछ तो काला है.!

 

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संभाग मुख्यालय जगदलपुर के दोनों सरकारी अस्पतालों की सोनोग्राफी मशीनों के एकसाथ खराब हो जाने के पीछे तकनीकी कारण कम नजर आ रहा और स्वार्थ की बू ज्यादा आ रही है। दाल में कुछ तो काला है, अन्यथा दोनों बड़े अस्पतालों की सोनोग्राफी मशीनें भला कैसे एकसाथ खराब हो सकती हैं भला ? शहर के दोनों सरकारी अस्पतालों में सोनोग्राफी मशीनें आ जाने के बाद निजी सोनोग्राफी सेंटरों का धंधा चौपट हो गया है।

डिमरापाल के मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल और जिला चिकित्सालय महारानी अस्पताल में अल्प शुल्क पर या फिर बिना कोई शुल्क के ही जरूरतमंद मरीजों की सोनोग्राफी हो जाती है। जबकि निजी सोनोग्राफी सेंटर्स में डेढ़ हजार से पांच हजार रुपए तक वसूले जाते हैं।

जो भी निजी या सरकारी डॉक्टर मरीजों को सोनोग्राफी के लिए इन निजी सेंटर्स में भेजते हैं, उन्हें सोनोग्राफी सेंटर संचालक मोटा कमीशन और त्योहारों के अवसर पर कीमती तोहफे देते हैं। सरकारी अस्पतालों में सोनोग्राफी की सुविधा उपलब्ध हो जाने से सरकारी डॉक्टरों की अतिरिक्त कमाई मारी जा रही थी। इसे देखते हुए लगता है कि सोची समझी साजिश के तहत मेडिकल कॉलेज और जिला चिकित्सालय की सोनोग्राफी मशीनों का भट्ठा जानबूझ कर बिठाया गया है।

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