0 भव्य कलश यात्रा के साथ सप्त दिवसीय रामकथा का हुआ शुभारंभ स्व सोनचंद वर्मा की स्मृति में हो रहा आयोजन
बलौदाबाजार। स्व सोनचंद वर्मा स्मृति फाउंडेशन द्वारा सप्त दिवसीय रामकथा का आज शुभारंभ आज भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ जिसमें हजारों की संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।कलश यात्रा के पूर्व मानस विदुषी देवी चंद्रकला सहित आयोजक परिवार पुष्पराज वर्मा, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा सहित परिवार जनों ने हनुमान जी के मंदिर में पूजा अर्चना कर कलश यात्रा का शुभारम्भ किया जो नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए नगर भवन पहुंची। भगवान राम की कलश यात्रा का लोगों ने पुष्पवर्षा कर जगह जगह स्वागत किया। बलौदाबाजार के नगर भवन में आयोजित कथा में अयोध्या से पधारी मानस विदुषी देवी चंद्रकला द्वारा भगवान राम की कथा का रसपान भक्तों को कराया जा रहा है। कथा के प्रथम दिवस रामचरितमानस के उद्भव उसका अर्थ तुलसीदास का जन्म उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया। वही उन्होंने व्यासपीठ से कथा सुनाते हुए कहा कि रामकथा सुनने का सौभाग्य उसी को मिलता है जिसपर राम जी की कृपा होती है। भगवान राम और कृष्ण हमारे अंतर्मन में बसते है। भागवत कथायें हमारे मन मस्तिष्क में छाये अंधकार को दुर कर देता है। भगवान निष्कपट व निश्छल भक्त के यहाँ जरूर आते हैं जिसप्रकार भक्त को भगवान का इंतजार होता है उसी प्रकार भगवान को सच्चे भक्त का इंतजार रहता है। भगवान भाव के भुखे है।
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श्रीराम चरित मानस का सार है अगर अपने मन को भगवान राम तक पहुंचाना है तो अपने चरित्र का सुधार कर ले। प्राचीन ग्रंथों में बहुत गुढ़ रहस्य है उसको समझने की आवश्यकता है और जब हम उसका अध्ययन कर अपने जीवन में उतारेंगे तब हमारा जीवन सार्थक होगा। रामचरितमानस एक मर्यादित और स्त्रियों का सम्मान करने वाला ग्रंथ है। श्रद्धा माँ पार्वती है और विश्वास भगवान शंकर और जब इन दोनों को हम अपने जीवन में उतारते है तब हमारा जीवन सर्वश्रेष्ठ होता है। श्रद्धा तब तक भटकती है जब तक उसके साथ विश्वास नहीं होता और जब विश्वास साथ हो जाता है तब हमारा जीवन सफल होता है इसलिए पति और पत्नी को श्री दुसरे के प्रति श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए तब उनका जीवन आरामदायक और सुखपूर्वक रहता है। भक्त को केवल भगवान समझ सकते हैं बाकी कोई नहीं है। भगवान भाव के भुखे है । जीवन में भक्ति के गुण नहीं है तो जीवन बेकार है जिस प्रकार सब्जी में नमक मिठाई में शक्कर की आवश्यकता होती है उसी प्रकार यदि भगवान से मिलना है तो भक्ति का होना जरूरी है। और नमक शक्कर दुकान में मिल जाते है पर भक्ति हमे कथा से मिलती है । कथा के दुसरे दिवस भगवान शिवपार्वती विवाह पर कथा होगी।