Santulan ka Samikaran- सामाजिक जागरूकता और अपराध पर लगाम लगाने से हिंसा होगी कम

Santulan ka Samikaran

0 समाज में बढ़ती हिंसात्मक प्रवृति विषय पर परिचर्चा
0 संतुलन का समीकरण कार्यक्रम का आयोजन

रायपुर। आज देश ही नहीं, दुनिया में हिंसा भड़क रही है। साथ ही युद्ध भी हो रहे हैं। जब इस तरह की अमानवीय एवं क्रूर स्थितियां समग्रता से होती हैं तो इस पर विचार करना जरूरी हो जाता है।
एशियन यूथ के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में इस बार समाज में बढ़ती हिंसात्मक प्रवृत्ति विषय पर चर्चा की गई। जहां अलग-अलग क्षेत्र के लोगों ने अपनी बात रखी। इस अवसर पर एशियन न्यूज के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र ने कहा कि हिंसक परिस्थितियां एवं मानसिकताएं जब प्रबल हैं तो अहिंसा का मूल्य स्वयं बढ़ जाता है। यह देश गांधी का है, यह देश बुद्ध का है सभी ने अहिंसा के रास्ते पर चलने की बात कही है लेकिन अभी वर्तमान में जिस तरीके से हमारे देश में प्रदेश में और समाज में हिंसाएं हो रही है उससे काफी चिंता होती है हिंसा किसी भी तरह की हो, अच्छी नहीं होती। मगर हैरानी की बात यह है कि आज हिंसा के कारण लोग सामाजिक अलगाव एवं अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। शिकागो विश्वविद्यालय के द्वारा हाल ही में किये गये अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। यह अध्ययन शिकागो के ऐसे 500 वयस्क लोगों के सर्वे पर आधारित है जो हिंसक अपराध के उच्च स्तर वाली जगह पर रहते हैं। तथ्य सामने आया कि हिंसा का बढ़ता प्रभाव मानवीय चेतना से खिलवाड़ करता है और व्यक्ति स्वयं को निरीह अनुभव करता है। इन स्थितियों में संवेदनहीनता बढ़ जाती है और जिन्दगी सिसकती हुई प्रतीत होती है।
वकील शिशिर श्रीवास्तव ने कहा कि ने कहा कि मौजूदा दौर में जिस प्रकार से युवाओं और आम लोगों में सहनशीलता की कमी आ रही है इससे भी समाज में ऐसी हिंसाएं बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि आज यह देखा जा रहा है कि लोग किसी भी बात को तुरंत सीरियस लेते हैं और उस पर मारपीट करना शुरू कर देते हैं इससे साफ जाहिर होता है कि लोगों के अंदर जो सहनशीलता होनी चाहिए वह नहीं है। उन्होंने कहा कि आजकल यह भी देखा जा रहा है कि जिसके पास ज्यादा पैसे हैं वह भी अपना धौंस जमाने के लिए समाज में ऐसी चीज करते हैं जिससे समाज में तनावपूर्ण वातावरण भी बनता है।
कर्मचारी और आप नेता विजय झा ने कहा कि कानून का साथ लेना चाहिए ना कि कानून को हाथ में लेना चाहिए क्योंकि जिस तरीके से आज समाज में नशीली पदार्थ का व्यापार फल-फूल रहा है। आज जिस तरीके से समाज में नशीली पदार्थ का सेवन कर लोग विकृति कर रहे हैं, उसे पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसे नशीली पदार्थ का सेवन कर कुकृति कर रहे हैं इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। नशा और कई ऐसे पदार्थ हैं जो युवाओं को बर्बाद कर रहा है। आज सोशल मीडिया से भी युवाओं को भड़काया जा रहा है।
वकील आयुष गुहा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से जो हिंसा हो रही है उसपर कंट्रोल करना आज सबसे ज्यादा मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से आज सोशल मीडिया के माध्यम से कोई भी छोटी घटना को बड़ा बनाने या भड़काने में जिस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है वह कहीं ना कहीं समाज के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि आज ऐसे कई गेम है जिससे युवा और बच्चों उसके लत में बर्बाद हो रहे हैं। इससे साइबर हिंसा भी बढ़ रही है। सोशल मीडिया जितना उपयोगी है इसके कई नुकसान भी हैं इससे अपने बच्चों को दूर रखें।
वकील हेमल शर्मा ने कहा कि आज जिस प्रकार से समाज में हिंसा हो रही है वह सिर्फ शारीरिक हिंसा नहीं है बल्कि मानसिक हिंसा भी की जा रही है वर्तमान में देखा जा रहा है कि हिंसा के कई प्रकार है। अगर समाज को या फिर देश को हिंसा से दूर रखना है तो अपने घर से ही शुरुआत करनी चाहिए उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार से घर में बच्चों के साथ या फिर किसी महिला के साथ हिंसा हो रही है उससे मानसिकता पर प्रभाव पड़ रहा है हमें एक स्वच्छ वातावरण बनाना पड़ेगा जिससे समाज प्रदेश और देश हिंसा से दूर रहे। बीजेपी युवा मोर्चा के नेता ने कहा कि हिंसा चाहे जिस तरह की हो हिंसा है इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आज समाज में हिंसा हो रहा है इसपर कानून बनाना जरूरी है। कई हिंसा ऐसे भी हैं जो अचानक से फैला है इसमें सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभा रहा है। पीएचडी स्कॉलर सुजीत सुमेर ने कहा कि आज नशा एक ऐसा प्रदार्थ है जिससे कई जिंदगियां बर्बाद कर रही है साथ ही हिंसा को भी जन्म दे रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से वर्तमान में लोगों में बेरोजगारी बढ़ी है यह भी एक कारण है। आज जरूरी है युवाओं को सही राह दिखाने की, जरूरी है समाज में आ रहे बदलाव को समझें और उस पर काम करें।

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