एग्री पायलट.एआई से आएगी कृषि क्रांति, महाराष्ट्र के बाद अब छत्तीसगढ़ में नवाचार…

कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों ने किसानों की उत्पादकता बढ़ाने, संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एग्री पायलट.एआई (AgriPilot.ai) ऐसा ही एक अभिनव प्रोजेक्ट है, जो माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के सहयोग से विकसित किया गया है। यह प्लेटफॉर्म एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग करके सैटेलाइट डेटा, मिट्टी परीक्षण और मौसम पूर्वानुमान को एकीकृत करता है, जिससे किसानों को वास्तविक समय में सलाह प्रदान की जाती है। प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कम संसाधनों में उच्च गुणवत्ता वाली खेती को बढ़ावा देना है, जिसमें पानी, उर्वरक और कीटनाशकों का न्यूनतम उपयोग शामिल है।

इस तकनीक का इस्तेमाल अपनी टीम के साथ करने वाले अमेरिका में रहने वाले भंडारा महाराष्ट्र के साफ्टवेयर इंजीनियर प्रशांत मिश्रा बताते है कि एग्री पायलट.एआई एक एआई/एमएल-आधारित स्मार्ट कृषि प्लेटफॉर्म है, जो 20-40 वर्ष पुराने सैटेलाइट डेटा का उपयोग करके मिट्टी की पूर्ण जानकारी निकालता है। यह माइक्रोसॉफ्ट एज़्योर डेटा मैनेजर फॉर एग्रीकल्चर पर आधारित है और 20 से अधिक एल्गोरिदम चलाता है, जो फसल चयन, बुवाई, उभराव, परिपक्वता, कटाई, कीटनाशक छिड़काव और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन जैसी सभी चरणों में सलाह देता है। प्रोजेक्ट के तहत किसानों को सोयल टेस्टिंग मशीन, वेदर स्टेशन और ड्रोन प्रदान किए जाते हैं, जो डेटा संग्रहण को आसान बनाते हैं।

छत्तीसगढ़ में कार्यान्वयन:
कुरूद ब्लॉक पायलटछत्तीसगढ़ में यह प्रोजेक्ट राज्य का पहला एआई-आधारित पहल है, जो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों धमतरी में लॉन्च किया गया। कुरूद ब्लॉक के 20 ग्रामों (पचपेड़ी, जुगदेही, गोबरा, हंचलपुर, चरमुड़िया, कोर्रा, सौराबांधा, सिलौटी, तर्रागोंदी, टिपानी, बोरझरा, गातापार, भाटागांव, राखी, मेंडरका, कुहकुहा, भालूकोन्हा, अटंग, भरदा और भोथली) में पहले चरण में प्रत्येक से 10-10 किसानों को शामिल किया गया, कुल 200 किसान।

प्रोजेक्ट के तहत प्री-प्लांटिंग से हार्वेस्टिंग तक सभी चरणों में वैज्ञानिक सलाह दी जा रही है, जिसमें मिट्टी-अनुकूल फसल चयन प्रमुख है। एग्री पायलट.एआई के सीईओ प्रशांत मिश्रा ने मंत्री चौहान को इसकी डेमो दी, जो एआई, आईओटी और डेटा-ड्रिवन समाधानों पर आधारित है। जल्द ही कोरबा, जशपुर और दंतेवाड़ा में भी विस्तार होगा। यह राज्य सरकार की डिजिटल इंडिया और किसान-केंद्रित नीतियों से जुड़ा है।

छत्तीसगढ़ में संभावनाएं
छत्तीसगढ़, जो धान की ‘भू-खनिज क्षेत्र’ के रूप में जाना जाता है, में 44% आबादी कृषि पर निर्भर है। राज्य में मिट्टी की विविधता (लाल, काली, जलोढ़ी), बाढ़-प्रवण क्षेत्र और छोटे जोतों की समस्या प्रमुख चुनौतियां हैं। एग्री पायलट.एआई इनका समाधान प्रदान कर सकता है:

  • उत्पादकता वृद्धि: धान, दालें और सब्जियों में 30-50% यील्ड बढ़ोतरी संभव, जैसा बारामती में देखा गया। कुरूद जैसे ब्लॉकों में, जहां औसत आय कम है, यह आय को दोगुना कर सकता है।
  • संसाधन संरक्षण: राज्य में जल संकट बढ़ रहा है; एआई से 20-30% पानी बचत होगी, जो बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों के लिए लाभदायक। उर्वरक उपयोग कम होने से मिट्टी स्वास्थ्य सुधरेगा।
  • विस्तार की क्षमता: 200 किसानों से शुरू होकर, राज्य के 10,000+ गांवों तक पहुंच सकता है। आईओटी-आधारित ड्रोन और सेंसर छोटे किसानों के लिए सुलभ होंगे, और राष्ट्रीय पेस्ट सर्विलांस सिस्टम से एकीकरण संभव।
  • आर्थिक और सामाजिक प्रभाव: महिलाओं और युवा किसानों को प्रशिक्षण से सशक्तिकरण, बाजार लिंकेज से आय स्थिरता। संभावित रूप से, राज्य जीडीपी में 5-10% योगदान बढ़ा सकता है। हालांकि, इंटरनेट कनेक्टिविटी और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।

सफलताएं: वैश्विक और भारतीय संदर्भ

प्रोजेक्ट की सफलता इसके व्यावहारिक प्रभावों से मापी जा सकती है।

  • बारामती, महाराष्ट्र: पवार साहब के एडीटी (Agricultural Development Trust) के सहयोग से लागू, जहां सामान्यतः 30-40 टन गन्ना उत्पादन होता था, वह एआई से 150-180 टन तक पहुंच गया। किसानों की वार्षिक आय 1.4 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो गई, जो तीन गुना वृद्धि है। साथ ही, खर्चा 20% कम हुआ क्योंकि पानी और उर्वरक का उपयोग घटा। यह परिवर्तन छोटे किसानों के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ, जहां एआई ने मौसम पूर्वानुमान और कीट नियंत्रण में सटीकता लाई।
  • अन्य देश: 15-16 देशों में, जैसे थाईलैंड में, यह मिट्टी स्वास्थ्य और संसाधन उपयोग में सुधार लाया है। भारत में, यह पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ड्रोन और एआई के माध्यम से 25,000 गांवों तक पहुंच रहा है।

राज्य सरकार के सहयोग से, यह प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ को ‘एआई-स्मार्ट कृषि राज्य’ बना सकता है।

एग्री पायलट.एआई माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के साथ एक साझेदारी है जो कृषि को डिजिटल युग में ले जा रही है। बारामती जैसी सफलताओं से प्रेरित होकर, छत्तीसगढ़ में इसका पायलट वादा करता है कि कम संसाधनों में अधिक लाभ संभव है। विस्तार से, यह राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा और सतत विकास सुनिश्चित करेगा। सरकार, एनजीओ और प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से, यह क्रांति पूरे भारत में फैल सकती है। अधिक जानकारी के लिए, आधिकारिक वेबसाइट (agripilot.ai) या माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च के संसाधनों का संदर्भ लें।

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