:राजकुमार मल:
भाटापारा- 6000 से 6500 रुपए प्रति एकड़ रोपाई की यह दर 7000 रुपए तक जा सकती है। क्योंकि अब मजदूरों की कमी होने लगी है। उर्वरक की कमी झेल रहा किसान अब खेतिहर मजदूरों की कमी का सामना कर रहा है। यह स्थिति गहरे तक असर डाल सकती है क्योंकि पौधों की उम्र एक माह की होने के करीब है। ऐसे में अपेक्षित उत्पादन नहीं मिलने की आशंका बन रही है।

कमी मजदूरों की
बीते बरस से 1000 रुपए की बढ़त के बाद चालू खरीफ सत्र में रोपाई की प्रति एकड़ मजदूरी 6000 से 6500 रुपए तक जा पहुंची है क्योंकि रोपाई विधि से फसल लेने वाले किसान बढ़े हैं। इसके अनुपात में मजदूरों की संख्या स्थिर है। इसके अलावा पौधों की उम्र बढ़ती देखकर शीघ्र रोपाई की चिंता ने भी प्रति एकड़ की दर को बढ़ाया हुआ है।
बियासी भी महंगी
विवश है वह किसान, जिन्हें बियासी के लिए 500 से 700 रुपए प्रति हल-बैल के लिए देने पड़ रहे हैं। बीते बरस से बियासी की यह दर 50 से 100 रुपए इसलिए ज्यादा है क्योंकि खेतिहर मवेशियों की कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है। मवेशी पालन को लेकर रुझान भी घटते क्रम पर है क्योंकि चारागाह का रकबा हर साल कम हो रहा है।

बढ़ा कल्टीवेशन चार्ज
कल्टीवेशन प्रति घंटा 1000 रुपए। रोटावेटर के साथ कल्टीवेशन करवाने पर 1200 रुपए प्रति घंटा। 100 से 200 रुपए की यह तेजी अब स्थिर रहने की धारणा है क्योंकि रोपाई के पूर्व खेतों की तैयारी का काम 50 फीसदी होने की खबर आ रही है। बाद के दिनों में होने वाले दलहन और तिलहन की बोनी के लिए फिलहाल अभी समय है।
