Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नक्सलवाद पर करारा प्रहार 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़ में नक्सलाइट ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए, पुलिस का एक जवान घायल हुआ है और मौके पर सर्च ऑपरेशन जारी बताया जा रहा है।
उम्मीद की जा रही है कि इससे ज्यादा संख्या में नक्सली मारे गए होंगे। इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने जब नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के डीजीपी के साथ बैठक की थी तो उन्होंने कहा था कि हम नक्सलवाद का सफाया करेंगे। उसके बाद अभी हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में तमाम नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के डीजीपी की बैठक बुलाई थी।
नक्सलियों के खिलाफ इस बड़ी सफलता पर 7 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री ने तमाम नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के डीजीपी सचिव और पुलिस विभाग के तमाम आलाधिकारियों को दिल्ली तलब किया है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-नारायणपुर बॉर्डर पर हुई नक्सली मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए हैं, पर यह आंकड़ा 40 के पार भी जा सकता है। इलाके में नक्सल्मियों के खिलाफ सर्चिंग ऑपरेशन अभी जारी है। उधर गृह मंत्री की 7 अक्टूबर को होने वाली बैठक में नक्सलवाद पर और कैसे और अधिक नकेल कसी जाए, इस पर गंभीर मंथन किया जाएगा। इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने साफ-साफ कहा था कि 2026 तक हम छत्तीसगढ़ समेत तमाम राज्यों को नक्सलवाद से मुक्त कर देंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि गृह मंत्रालय इसे लेकर एक विस्तृत प्लान तैयार करे, इसके आधार पर कार्रवाई की जाए। जिस तरह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की फंडिंग रोकी गई है, ठीक उसी तरह से छत्तीसगढ़ में भी नक्सलियों के फंडिंग रोकी जाएगी। इसको लेकर भी एक बहुत बड़ा एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार से जो मुठभेड़ जारी है उसे लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नक्सलियों से कहा है कि वह हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। चाहे केंद्र के गृहमंत्री हो या फिर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री, मुख्यमंत्री हों या कोई और, हर कोई यही कह रहा है कि नक्सली हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो यहां तक कहा कि हमारे सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों को पाताल से भी खोज निकलेंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बार-बार माओवादियों को यही संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वह हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाएं। उनको सरकार से मिलने वाली हर सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके बाद भी अगर वह हिंसा के रास्ते पर चलेंगे तो उसका जवाब गोलियों से दिया जाएगा।
अब अगर हम आंकड़ों की तरफ जाते हैं तो हम देखते हैं कि नारायणपुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर थुलथुली गांव में मुठभेड़ हुई जिसमें 31 नक्सली ढेर हुए तो वहीं रामचंद्र नाम का एक जवान भी घायल हुआ है। घायल जवान सीआरपीएफ का बताया जा रहा है, जिसका अस्पताल में इलाज जारी है।
2024 में अब तक कुल 160 नक्सली अलग-अलग मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। अप्रैल में कंकेर में हुई मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे। इसमें बड़े इनामी नक्सली मारे गए थे। ठीक इसी तर्ज पर थुलथुली गांव में भी जो मुठभेड़ हुई है उसमें भी कई इनामी नक्सलियों के मारे जाने की संभावना जताई जा रही है। मौके पर सर्चिंग के दौरान पुलिस ने वहां से एके-47 और एसएलआर समेत तमाम घातक हथियार बरामद किए हैं। रायपुर में पुलिस अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकारवार्ता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हम एनआईए की तर्ज पर राज्य में भी एसआईए का गठन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि नक्सलवाद पर प्रहार का समय आ गया है। यह नक्सलवाद पर हमारा अंतिम प्रहार होगा। नक्सलवाद जिसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से हुई थी, अब इसके खात्मे का समय आ चुका है। अमित शाह ने नक्सलवाद के खिलाफ जो निर्णायक लड़ाई लडऩे की बात कही है, अमित शाह की कही गई बात की परिणति के रूप में हमें इस मुठभेड़ के रूप में सामने आती है। अब अगर बात करें पिछले 10 साल की तो इस दौरान नक्सलियों ने 6,617 लोगों को मारा है जिसमें आम लोग और जवान दोनों शामिल है। अब तक इसमें 70 फीसदी की कमी आई है। जो आंकड़ा गृह मंत्री ने पत्रकार वार्ता में बताया उन्होंने यह भी कहा कि हम मार्च 2026 तक भारत के तमाम राज्यों को नक्सलवाद से मुक्त कर लेंगे। उन्होंने तमाम राज्यों से अपनी सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की बात भी कही थी। कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ में जो इतना बड़ा ऐक्शन हुआ।
इस प्रकार अगर देखा जाए तो एक और जहां केंद्र और राज्य सरकार एक साथ नक्सलियों को यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि आप समाज की मुख्यधारा में जुडि़ए, हम आपको पुनर्वास की सुविधा देंगे। आपको तमाम अन्य सरकारी सुविधाओं से जोड़ेंगे। आपके बच्चों को पढऩे के लिए स्कूल देंगे अस्पताल देंगे। दूसरी तरफ वह कहते हैं कि अगर आप नहीं मानेंगे तो हम बंदूक का जवाब बंदूक से देंगे। कांकेर की घटना के बाद ये दूसरा मौका है जब सुरक्षा बल के जवानों ने एक साथ 31 नक्सलियों को मार गिराया है, उनके शव बरामद हो गए हैं और सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है। इस पूरे ऑपरेशन में सुरक्षा बलों का सिर्फ एक ही जवान घायल हुआ है। जो एक प्रकार से बेहद सुखद बात है कि हमारे जवानों ने अपनी रणनीति में उल्लेखनीय सुधार किया है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को लेकर तमाम तरह की बात होती है। कई बार लोग कहते हैं कि इस मुठभेड़ में निर्दोष लोग मारे जाते हैं। इस तरह की बातें भी गृह मंत्री के सामने आ चुकी है। कई बार हम यह भी कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है तो ऐसा भी हो सकता है कि नक्सलवादियों के बीच में एकाध ग्रामीण भी शामिल रहे हों या फिर वे कहीं से आ रहे हों अथवा नक्सलियों के साथ ही हों। नक्सली उन्हें अपनी ढाल बनाने के लिए अपने आगे चलने के लिए कह रहे हों। अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण अंचलों में जब माओवादियों पर सुरक्षा बलों के जवान भारी पडऩे लगते हैं तब वे ग्रामीणों को अपनी ढाल बना लेते हैं। अंधेरे में यह पहचानना मुश्किल होता है कि सामने वाला नक्सली है या फिर कोई निर्दोष ग्रामीण।
इसलिए ऐसी बातों से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। अब गृहमंत्री की अगली बैठक जो दिल्ली में होने वाली है उसमें उम्मीद की जानी चाहिए कि इसमें हमारे अधिकारी और भी अधिक उत्साह के साथ हिस्सा लेंगे। एक नई रणनीति के साथ मैदान में फिर से नक्सलवादियों का खत्म करने के लिए सामने आएंगे। इससे जवानों का हौसला बढ़ेगा। आम आदमी खुद को और अधिक सुरक्षित महसूस करेगा। राज्य सरकार का भी हौसला बढ़ेगा।

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