नई दिल्ली। भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विदेश मंत्रालय ने संसद को जानकारी दी है कि पिछले पांच वर्षों में करीब 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है। राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि वर्ष 2011 से 2024 के बीच लगभग 21 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 के बाद इस आंकड़े में तेज वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी के वर्ष 2020 में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या घटकर करीब 85 हजार रह गई थी, जबकि इसके बाद यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 2 लाख के आसपास पहुंच गया।
सरकार ने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों में सुरक्षा कारणों से मिडिल ईस्ट के देशों से 5,945 भारतीय नागरिकों को वापस लाया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि इनमें इजराइल से ‘ऑपरेशन अजय’ और ईरान-इजराइल क्षेत्र से ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत निकाले गए भारतीय शामिल हैं। इसके अलावा कुवैत अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीय नागरिकों के शव भी स्वदेश लाए गए।
इसी दौरान राज्यसभा की मनोनीत सांसद सुधा मूर्ति ने 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा व देखभाल की गारंटी देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने इसके लिए संविधान में नया अनुच्छेद 21बी जोड़ने की मांग करते हुए आंगनवाड़ी व्यवस्था को और सशक्त बनाने पर जोर दिया।
केंद्र सरकार ने संसद को यह भी बताया कि वर्ष 2024-25 में जांच किए गए 1.16 लाख दवा नमूनों में से 3,104 मानक गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे, जबकि 245 दवाएं नकली या मिलावटी पाई गईं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में बताया कि 2023-24 में भी करीब 3 हजार दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल हुई थीं। दिसंबर 2022 से अब तक 960 से अधिक दवा इकाइयों का निरीक्षण किया गया, जिन पर 860 से ज्यादा कार्रवाई की गई।
इसके अलावा सरकार ने जानकारी दी कि 1 दिसंबर 2025 तक भारतीय विदेश सेवा में कुल 954 अधिकारी कार्यरत हैं, जिनमें 263 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 200 अधिकारी अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग से तथा 217 अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने संसद में बताया कि देश में उपलब्ध लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि में से 11,152 एकड़ पर अतिक्रमण है। इसके साथ ही 45,906 एकड़ भूमि को अतिरिक्त घोषित किया गया है, जिसे अन्य विभागों को सौंपने पर विचार किया जा रहा है, जबकि 8,113 एकड़ भूमि पर कानूनी विवाद चल रहा है।