शिवमहापुराण कथा का उद्देश्य शिव से आपको जोड़ना-पंडित प्रदीप मिश्रा


सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के छठवे दिवस सोमवार को अंतराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोर वाले के मुखारविंद से ताड़कासुर व उनके तीनो पुत्र, पशुपतिनाथ व व्रत की कथा बताई गई। आज महाशिवरात्रि होने के कारण कथा सुनने के लिए कलेक्टर नीलेश महादेव भी पहुचे व पंडाल एवं आस-पास खुली स्थलों में भक्तों की भारी भीड़ रही।

महाराज जी ने कहा कि यह जीतेन्द्र जायसवाल का भागीरथी प्रयास है जिसके कारण आज वनवासी,आदिवासी क्षेत्र कच्चे में शिवमहापुराण कथा करने का मुझे सौभाग्य मिला है। मात्र 5 दिनों में इतने बड़े आयोजन करना आप सभी समिति के सदस्य बधाई के पात्र है।

शिवमहापुराण कथा कहती है कि यदि आपको मानव जीवन मिला है तो जीवन को सत्कर्म और अच्छे कार्य कर अपने जीवन को सार्थक करे। मैन सबका होते देख लिया, एक तेरा होना बाकी है। ईसान को अच्छे कामो की हमेशा समर्थन एवं बुरा काम का विरोध करना चाहिए।

देवेंद्र टेकाम को मंच पर
पंडित जी ने धर्म परिवर्तन पर रोकने के दिशा में सराहनीय कार्य के लिए सराहना की लोग अपने हिंदू धर्म छोड़कर दूसरे धर्म मे जा रहे है। एक भी हिन्दू दूसरे धर्म मे नही जाएगा, तब मैं उनके बुलावा पर मैं वहा जाकर कथा करने का वचन देता है।
शिवमहापुराण कथा कहती है कि
शिवमहापुराण एक ऐसा कथा है जहा पर इंसान नही बल्कि जजमान के रूप में स्वयं भगवान शंकर एवं माता पार्वती विराजमान रहते है। इंसान के बजाय जानवर वफादार होती है,


पंचम दिवस तक भंडारे में 2 लाख से अधिक लोग भोजन कर चुके है। यह महादेव के ही कृपा है। शुरू दिन से ही भंडारा प्रारंभ है, दानदाता व शिव भक्तों के द्वारा 24 घण्टे भोजन बनाने व भक्तो को खिलाने का काम कर रहे है।

महेश्वरी अगवानी बस्तर का पत्र पढ़कर महाराज ने बताया कि महेश्वरी के पति के मृत्यु वर्ष 2000 में हो गई थी उस वक्त पुत्र 3 वर्ष रहा, पति के चले जाने से जीवन बहुत कष्टमय रहा। मैं मोबाइल से आप के कथा सुनी शिव मंदिर जाने लगी पशुपतिनाथ का व्रत रखी। मेरा पुत्र कहता था कि माँ शिव के पूजा करने से सरकारी नौकरी मिल जाएगी ।आज बाबा के आशीर्वाद से मेरा पुत्र के तीन-तीन सरकारी नौकरी मिली पहले शिक्षक, दूसरी जीएसटी विभाग तीसरी पीएससी पास आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी बन गया ये सब बाबा के आशीर्वाद कृपा ही है। इनके अलावा रेखा यादव एवं मेघा वर्मा, योगिता ठाकुर पर शिवकृपा हुई पत्र पढ़कर सुनाया गया।

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