जीव और परमात्मा तत्व ब्रह्म के मिलन को ही महारास कहते है: पूर्वी शुक्ला

उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का वर्णन किया। कथा में व्यास रमेश पाराशर ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। रुक्मिणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

श्रीमद्भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथावाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। महापौर रामू रोहरा ने पीठ से आर्शीवाद प्राप्त कर कहा कि यह खुशी की बात है धमतरी शहर में पहली बार एक साथ भागवत कथा और राम कथा एक ही व्यास पीठ से सुनने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने लोगो से कहा की भागवत कथा को अपने जीवन में आत्मसात करें। इस अवसर पर जिला बीजेपी के महामंत्री महेन्द्र पंडित, अज्जू देशलहरे, राजीव चंद्राकर, नीतू त्रिवेदी राम सोनी,चिराग, विशाल त्रिवेदी आदि उपस्थिति थे

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