:हिंगोरा सिंह:
अंबिकापुर। महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष व नारी उत्थान हेतु उल्लेखनीय योगदान के लिए माता बहादुर कलारिन राज्य अलंकरण सम्मान से सम्मानित समाजसेवी व अधिवक्ता शिल्पा पाण्डेय सृष्टि ने आज स्थानीय सर्किट हाउस में “प्रेस विमर्श” का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने प्रेस को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनको मिला ये सम्मान सरगुजा की कोटि कोटि उस जनता को समर्पित है जिन्होंने मेरे हर अभियान को सफल बनाकर यहाँ तक पहुँचने में मेरी मदद की।

प्रेस के सहयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि मीडिया ने मेरे हर सामाजिक गतिविधियों को समाचार रूप में स्थान दिया जिसके लिए मैं सदैव ऋणी रहूंगी। उन्होंने राज्य सरकार व जिला प्रशासन का भी निष्पक्ष चुनाव हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि उनके द्वारा विगत 20 वर्षों से महिलाओं एवं किशोरियों के उत्पीड़न के विरूद्ध जन जागरूकता अभियान चलाया गया। उन्होंने महिलाओं एवं बालिकाओं को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करने हेतु जागरूकता कार्यक्रम, स्वच्छता जागरूकता एवं एड्स से बचाव कार्यक्रमों में भागीदारी तथा मानव तस्करी की शिकार बालिकाओं एवं महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयासों सहित नारी उत्थान के क्षेत्र में कई कार्य किये हैं।
उन्होंने बताया कि शिल्पा पाण्डेय द्वारा आदिवासी बहुल महिलाओं को स्वावलंम्बी बनाने हेतु कई महिला स्व सहायता समूहों का गठन भी किया है। उन्हें अब तक मिले सम्मानों में जनशिक्षण संस्थान भारत सरकार द्वारा महिला उत्पीड़न एवं निवारण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु सम्मान पत्र, राज्य युवा आयोग द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु शक्ति सम्मान, तत्कालीन मुख्यमंत्री डा रमन सिंह द्वारा सर्वश्रेष्ठ नारी सम्मान 2008 सहित सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा विधिक अधिकारों के प्रति जनजागरूता के लिए भी सम्मान प्रदान किया गया है।

प्रेस विमर्श में शिल्पा पांडेय ने उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का जिक्र करते हुए बताया कि उनके द्वारा महिलाओं एवं किशोरियों के उत्पीडन के विरूद्ध व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही बड़े पैमाने पर उनके विधिक अधिकारो के प्रति उन्हे जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने स्वच्छता मॉडल कहे जाने वाले अंबिकापुर की सफाई दीदीयों को भी विभिन्न विसंगतियां जिनमें उनके घरेलू हिंसा, समाजिक हिंसा, शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना के विरुद्ध उन्हें जागरूक कर उन्हें स्वाभिमान से जीने हेतु प्रेरित किया है।
उन्होंने शहरी आजीविका मिशन से जुड़कर कर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का निर्माण कर उन्हें रोजगार से जोड़ने का भी कार्य किया है। विशेष रूप से किन्नर समुदाय के सदस्यों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास कर उन्हें आर्थिक तथा सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का कार्य किया है। उन्होंने किशोरी तथा नाबालिक बालिकाओं के शारीरिक एवं मानसिक उत्पीडन के विरूद्ध लगातार विद्यालयों, महाविद्यालयों, बस्ती, ग्राम पंचायतो, टोलों एवं पहाड़ी बसाहट में भी जनजागरूकता शिविरों का आयोजन कर उन्हें लैंगिक अधिकारों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की जानकारी देकर जागरूक करने का प्रयास किया है।

उनके द्वारा मानव तस्करी का शिकार होकर लौटी युवतियों एवं महिलाओं को सकारात्मक प्रेरणा देकर उन्हें पुनर्वास हेतु लगातार प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने प्रेस विमर्श के दौरान अपने परिवार से मिले पूर्ण सहयोग और समर्थन का जिक्र करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित अपने पति श्री उमेश पांडेय सहित माता जी श्रीमती साधना पाण्डेय, पिता श्री राजकुमार पाण्डेय, भाई जितेंद्र पाण्डेय एवं सासु माँ श्रीमती लीलावती पाण्डेय को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा पुरस्कार में उनके योगदान को अतुलनीय बताया।