:देविका साहू:
कहते हैं यदि ठान लो तो कोई भी चीज छोटी नहीं होती। एक 19 साल की लड़की जिसने छोटी-सी शुरुआत की और अपनी कला और शौक को रोजगार में बदला। हम बात कर रहे हैं, बिलासपुर में रहने वाली श्रुति मुखर्जी की जिन्होंने एक बहुत पुराने हुनर को फिर से जिंदा किया। वह अरपा संगिनी से जुड़ी महिलाओं को हाथों से बने रंग बिरंगे ऊन से क्रोशिया की कला सिखा रही हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र और सशक्त बनाने में मदद कर कर रही हैं।
आज उनका ऑनलाइन बिजनेस बिलासपुर से हो कर दुनिया में रफ्तार पकड़ रहा है। जिसकी शुरूआत आसान नहीं थी। बाजार तक पहुंचने में, लोगों का भरोसा जीतना और नए डिजाइन बनाना एक कठिन सफर था। उतार-चढ़ाव आते रहे पर श्रुति ने कभी हार नहीं मानी।

अपने काम को ई-कॉमर्स बिज़नेस, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक पहुंचाये, प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया और अपनी पहचान बनानी शुरू की। धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे, आज श्रुति के साथ 25 से ज्यादा महिलाएं जुड़ीं हुई हैं, जो उनके हैंडमेड प्रोडक्ट बनाने में मदद कर रही हैं। श्रुति उन्हें निःशुल्क प्रशिक्षण देती हैं और वह स्व-सहायता समूहों में जा कर महिलाओं को क्रोशिया का काम सिखाती हैं और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही हैं, अपने साथ-साथ उनके सपने बुनने में भी मदद कर रही हैं। श्रुति की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सपना देखता है, पर उसे शुरू करने से डरता है। श्रुति सबको यही संदेश देती हैं कि शुरुआत छोटी हो सकती है, पर हौसला बड़ा रखना चाहिए।