नो पार्किंग में टिकट काउंटर, सिविल डिफेंस और पार्किंग कर्मचारियों की मनमानी वसूली से यात्री हलकान..
:विनोद कुशवाहा:
बिलासपुर। रेलवे स्टेशन में पुनर्विकास का काम इन दिनों यात्रियों की
परेशानी बढ़ा रहा है। टिकट लेने जैसी साधारण प्रक्रिया अब लोगों के
लिए भारी समस्या बन चुकी है। आरक्षण काउंटर को स्टेशन से
दूर शिफ्ट कर दिया गया है और जनरल टिकट काउंटर ऐसी जगह
बना दिया गया है, जहां पार्किंग और नो पार्किंग की
मनमानी ने यात्रियों की मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।

दरअसल रेलवे स्टेशन में जारी पुनर्विकास कार्य के चलते आरक्षण काउंटर को करीब एक किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया गया है। पहले जहां गेट नंबर 1 के पास यह सुविधा उपलब्ध थी, वहां अब जनरल टिकट काउंटर बना दिया गया है। लेकिन यहां की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यह क्षेत्र नो पार्किंग ज़ोन घोषित है।
यात्री जैसे ही गाड़ी रोककर टिकट लेने पहुंचते हैं, पार्किंग कर्मचारी और सिविल डिफेंस जवान उन पर चालान ठोक देते हैं।यात्रियों का आरोप है कि यह जुर्माना वसूली पूरी तरह मनमानी है।

लोगों का कहना है कि दोपहिया वाहन वालों से 200 रुपये और चारपहिया वाहनों से 500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। सिर्फ कुछ मिनट गाड़ी रोकने पर इतनी बड़ी रकम वसूली जाना लोगों के लिए लूट जैसा है। यात्रियों का कहना है कि यह सब रेलवे प्रबंधन की उदासीनता और सिविल डिफेंस की मनमानी की वजह से हो रहा है।
स्थिति सिर्फ गेट नंबर 1 तक सीमित नहीं है। गेट नंबर 4 पर भी यही हाल है, जहां दोपहिया वाहनों की पार्किंग पूरी तरह से बंद कर दी गई है।
जबकि इसी गेट के अंदर एटीवीएम मशीनें लगाई गई हैं, जिनसे टिकट निकालने के लिए यात्रियों को प्रवेश करना ज़रूरी है। लेकिन वाहन रोकते ही सिविल डिफेंस के जवान गाड़ी को लॉक कर देते हैं और फिर वसूली का खेल शुरू हो जाता है।
यात्रियों का आरोप है कि ये जवान खुद को ट्रैफिक पुलिस से भी ऊपर समझने लगे हैं।रेलवे प्रशासन से जब इस बारे में पूछा गया तो डीआरएम राजमल खोईवाल ने कहा कि मामले की जांच के बाद ही ठोस जानकारी दी जा सकेगी।

फिलहाल यात्रियों से यह कहा जा रहा है कि वे आधा किलोमीटर दूर पार्किंग में वाहन खड़े करें और फिर टिकट लेने आएं। लेकिन यात्रियों का कहना है कि यह व्यवस्था बेहद असुविधाजनक है, खासकर उन लोगों के लिए जो कुछ मिनटों में टिकट लेने आते हैं।
लोगों का कहना है कि रेलवे की यह अव्यवस्था न केवल यात्रियों को परेशानी में डाल रही है, बल्कि स्टेशन की छवि को भी खराब कर रही है। जिन यात्रियों के लिए टिकट काउंटर एक बुनियादी सुविधा होना चाहिए, उनके लिए अब यह किसी सज़ा से कम नहीं रह गया है।

बड़ा सवाल यह है कि रेलवे कब यात्रियों की इन समस्याओं को गंभीरता से लेकर समाधान करेगा और कब स्टेशन पर व्यवस्था सुधरेगी।