निष्पक्षता, और प्रतिबद्धता ही ‘आज की जनधारा’ की पहचान है:श्रीनिवास राव मद्दी

प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण बस्तर से आज की जनधारा अखबार के बस्तर संस्करण की शुरूआत हो गई.  संस्करण के लोकार्पण के अवसर पर बेवरेज कारर्पोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी ने आज की जनधारा के पत्रकारिता और कार्यशैली की प्रशंसा की. उन्होने कहा कि है जो गरिमा अखबार के लिए आवश्यक होती है उसे  आज की जनधारा बखूबी से पालन कर रही है.

बेवरेज कारर्पोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी  ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता था. अखबार एक ऐसी चीज है. जो हमें बारिकी और डिटेल के साथ खबर उपलब्ध कराता है.एक दौर था जब जगदलपुर में अखबार दूसरे दिन आता था. दो तीन ही अखबार आते थे. फिर विकास हुआ अखबार उसी दिन सुबह ही पहुंच जाता है.

अपने छात्र जीवन के दौर को याद करते हुए उन्होने कहा कि  हम स्टूडेंटस थे उस समय तो कोई इंटरनेट था नही तो उस समय रिजल्ट दूसरे दिन ही पता लगता था. अखबार जब उसी दिन आना शुरू हुआ तो  हम लोग बहुत खुश हो गए थे कि अखबार सुबह 11 बजे तक आ जाता था आज भी प्रिंट मीडिया का महत्व है पहले इलेक्ट्रानिक मीडिया में कुछ ही बुलेटिन्स आते थे. आज तो 24 घंटे के बहुत से चैनल है. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मिला कर 100 से 150 चैनल र्है। इनके बीच भी अखबार की पहचान बनी हुई है.

श्री मद्दी ने आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की बात का समर्थन करते हुए कहा कि यह सही है कि एक बार अखबार में छप गया उसे बदला नही जा सकता. प्रिंट मीडिया की अपनी विश्वसनीयता है उन्होने कहा  कि वे खुशनसीब हैं कि उन्होने जगदलपुर में  तुशारकांत बोस अवस्थी जी और किरीत दोशी जी जैसे बहुत ही धारदार पत्रकारों की लेखनी को देखा. तीनों अलग-अलग विचारधारा के थे. लेकिन वे गरिमा के साथ आलोचना करते थे. उन्होने इसे बना कर रखा. गलत विषयों पर सरकार को भी नही छोड़ा. अच्छे तरिके से आलोचना करते थे. लेकिन कभी भी किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप नही लगाया. जो लिखते थे सौम्य सहज और गरिमामयढंग से लिखते थे.

उन्होने कहा कि जैसे जैसे विकास होता है वो कुछ कीमत भी मांगता है. मीडिया के क्षेत्र में जैसे-जैसे बढ़ोत्तरी होती गई इसमें बेहतरी की गुंजाइश  को बनाए रखने में परेशानी होने लगी. सोशल  मीडिया में आजकल सब तुरंत आ जाता लेकिन कई बार सत्यता की प्रमाणिकता नही हो पाती. लेकिन अखबार के पास समय होता है इसलिए वे खबर की पूरी पुष्टि करने के बाद ही छापते हैं. पर आजकल पहले दिखाने की होड़ में ये कमी आ गई है. यदि सोशल मीडिया में किसी के बारे में कुछ दिखा दिए तो उसकी छवि धुमिल हो जाती है.

 श्री मद्दी पुराने दिनों की बात याद करते हुए कहा  वे 1990 से राजनीतिक क्षेत्र में हैं तब के समय केवल अखबार हुआ करते थे. उस समय अगर अखबार में कुछ छप जाता तो लोग उसे सही मानते थे. किंतु आज कई सारे पोर्टल टीवी हो गए तो लोग भी समझने लगे हैं. श्री मद्दी ने कहा कि आज की जनधारा की निष्पक्षता, कहने का तरीका  और प्रतिबद्धता अखबार को और उंचाई  पर ले जाएगा. वे इस अखबार से अनभिज्ञ  नही हैं. जगदलपुर से स्थानीय संस्करण शुरू कर रहे हैं समाचर के क्षेत्र में काफी अनुभव है जो गरिमा अखबार के लिए होती है उसका बखूबी से पालन करते हैं.

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