:रमेश गुप्ता:
भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) ने संयंत्र क्षेत्र में वाहनों की तेज़ रफ़्तार पर
नियंत्रण के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग की पहल पर
संयंत्र में स्पीड वायलेशन डिटेक्शन सिस्टम (एसवीडीएस) लगाया गया है।
इसके तहत 15 संवेदनशील मार्गों पर 22 हाई-टेक कैमरे स्थापित किए गए हैं।
इस नई पहल का उद्देश्य संयंत्र परिसर में सुरक्षित यातायात सुनिश्चित करना
और कार्यस्थल को और अधिक सुरक्षित बनाना है।
नई प्रणाली में भारतीय तकनीक पर आधारित विडार स्पीड डिटेक्शन कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे रडार और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) तकनीक का उपयोग करते हैं। यह सिस्टम 98.6 प्रतिशत तक सटीकता से वाहनों की गति का पता लगा सकता है और खराब मौसम या धीमी रोशनी जैसी परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता।

जैसे ही कोई वाहन निर्धारित गति सीमा से अधिक चलता है, कैमरे उसकी हाई-रेज़ोल्यूशन तस्वीर और वीडियो समय व तिथि सहित रिकॉर्ड कर तुरंत नियंत्रण कक्ष को भेज देते हैं। कैमरे उन मार्गों पर लगाए गए हैं जहाँ यातायात का दबाव और दुर्घटनाओं की संभावना सबसे अधिक रहती है।
इनमें ब्लास्ट फर्नेस (BF-7, BF-8) रोड, कोक ओवन वेट ब्रिज (SP-3 रोड), यूआरएम रोड, बोरिया ओवरब्रिज, ईआरएस रोड, प्लांट गैराज रोड, बीआरएम और मरोदा रोड जैसे प्रमुख मार्ग शामिल हैं। इस व्यवस्था से अब इन स्थानों पर 24 घंटे लगातार निगरानी संभव हो सकेगी।
संयंत्र प्रबंधन को उम्मीद है कि इस प्रणाली से तेज गति के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी। इसके साथ ही सिस्टम लगातार डेटा भी रिकॉर्ड करेगा, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किन स्थानों पर उल्लंघन अधिक हो रहा है। इस आधार पर सुरक्षा उपायों को और अधिक मज़बूत और प्रभावी बनाया जा सकेगा।
यह परियोजना ऑटोमेशन एवं डिजिटलाइजेशन विभाग (ए एंड डी) द्वारा पूर्ण की गई है। इसका नेतृत्व मुख्य महाप्रबंधक (ए एंड डी) रवि शंकर, महाप्रबंधक (ए एंड डी) एम. पी. सिंह और सहायक महाप्रबंधक (ए एंड डी) सुश्री स्वाति प्रदीप ने किया। वहीं सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग (एसईडी) से मुख्य महाप्रबंधक देबदत्त सत्पथी, महाप्रबंधक प्रभारी (एसईडी) एस.के. अग्रवाल और महाप्रबंधक (एसईडी) जे. तुलसीदासन ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भिलाई इस्पात संयंत्र का यह कदम संयंत्र क्षेत्र में यातायात व्यवस्था को अनुशासित करना और सुरक्षा संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप और सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।