बीईओ-बीआरसीसी विवाद…लगातार विरोध… दोनों को पद से हटाया गया…


फिर की गई नियम विरुद्ध नियुक्ति

:दिलीप गुप्ता:

सरायपाली :- विकास खंड शिक्षा अधिकारी प्रकाश चंद्र मांझी को उनके

पद से हटाकर उनके स्थान पर ग्राम मोहन्दा के व्यख्याता टी सी पटेल को
प्रभारी बीईओ बनाया गया है । तो वही बीआरसीसी पद से सतीश स्वरूप पटेल को
हटाकर देवानन्द नायक को प्रभार सौंपा गया है । सरायपाली में बीईओ व बीआरसीसी
का पद ऐसा विवादित हो गया है कि कोई भी लंबे समय तक इस पद पर नही रह सकता ।

शिक्षा विभाग की लापरवाही व पैसों के खेल में शिक्षा विभाग व शिक्षा मंदिर के नाम से जाने जाने वाले इस विभाग में नियुक्ति करने व हटाने के खेल का भ्रष्टाचार व अवैध कमाई का अड्डा बन गया है । इसी प्रक्रिया में लाखों रुपये की बोली लगाकर पोस्टिंग लिए जाने की जानकारी विभागीय सूत्रों से मिल रही है । अब पद पाने व हटाने के लिए पैसों की बोली लगाकर मनमर्जी तरीके से यह खेल खेला जा रहा है । संघों की आपसी लड़ाई व स्वार्थ ने शिक्षा विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा बन दिया है ।

जिसका उदाहरण यहां कई बार दिख चुका है । अभी तक 3 बाबू इसी प्रकरणों में निलंबित हो चुके हैं व कुछेक पर जॉच भी चल रही है । इसके पीछे शिक्षा विभाग की नीति व अदूरदर्शी निर्णय को जिम्मेदार माना जा रहा है । विभाग द्वारा पुर्णकालिन बीईओ व बीआरसीसी के पद को प्रक्रिया के तहत न भरकर स्थानीय व्याख्याताओं के माध्यम से पोस्टिंग किये जाने के कारण आये दिनों इस दोनों विभागों में गुटबाजी , आपसी प्रतिद्वंदता , शिकायतों , पदों से हटाने की कसरत जैसी बातें सामने आती है और इसी का फायदा ऊपर बैठे विभागों के सक्षम अधिकारियों का खेल प्रारम्भ हो जाता है ।

पोस्टिंग करने व हटाने के खेल में लाखो का व्यारा न्यारा होता है । सक्षम अधिकारी पैसों के लालच में जानबूझकर इस तरह का नियम विरुद्ध कार्य करते हैं कि जिनकी पोस्टिंग की गई है व जिन्हें हटाया गया है के विरोध व समर्थं में स्थानीय शिक्षकों में असंतोष फैले व माहौल खराब हो जिसका फायदा फिर अधिकारियों को मिले ।
सरायपाली में यह एक परिपाटी बना दी गई है कि लाभ प्राप्त कर पहले नियम विरुद्ध आदेश जारी करो उसके 2- 4 महीनों बाद पुनः दूसरे की नियुक्ति में फिर लाभ प्राप्त करो । शासन को इस तरह के नियम विरुद्ध व लाभ वश किये जा रहे आदेशो की जांच की जानी चाहिए व दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए ।


इस संबंध में बीईओ के पद के लिए विभाग प्रदेश स्तर पर योग्य व अहर्ता प्राप्त वरिष्ठ प्राचार्यो की नियुक्ति करता है । विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीईओ पद हेतु हायर सेकेंडरी स्कूल के उन प्राचार्यो की नियुक्ति की जाती हैं जिन्हें कम से कम 5 वर्षो का अनुभव होना चाहिये । किंतु वर्तमान में टीकमचंद पटेल की प्रभारी नियुक्ति में शासन के इस नियम का पालन नही किया गया है वे इसके पूर्व शा. उ.मा.विद्यालय मोहन्दा में व्यख्याता के पद पर हैं । जबकि विकासखंड में और भी प्राचार्य हैं जो पिछले कई वर्षों से प्राचार्य का पद संभाल रहे हैं इनकी अनदेखी कर फिर पैसों के लालच में नियम विरुद्ध कार्य किया गया है ।


इसी तरह बीआरसीसी में श्रोत समन्वयक हेतु उसी की नियुक्ति होती है जो किसी भी मिडिल स्कूल में प्रधान पाठक के पद पर हो । यह पद राजपत्रित कर्मचारी का होता है ।वर्तमान में देवानंद नायक जो कि शा.उ.प्राथमिक शाला केंदुढार के शिक्षक हैं को श्रोत समन्वयक बना दिया गया है ।नियमतः न ही ही वे शिक्षक हैं और न ही प्रधान पाठक । जबकि उनकी नियुक्ति एल बी ( शिक्षा कर्मी ) के रूप में हुई थी ।
इस तरह शिक्षा विभाग हमेशा सरायपाली विकास खंड में बीईओ व बीआरसीसी में हमेशा से दो गलती जान बूझकर करता है । पहला नियम विरुद्ध नियुक्ति व दूसरा नियमित नियुक्ति न कर प्रभारी नियुक्ति किये जाने में अधिक विश्वास करता है ।पिछले कुछ वर्षो से यह प्रक्रिया अधिक निभाई जा रही है । इसके पीछे सिर्फ आर्थिक लाभ कमाना व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है । ताकि यह प्रक्रिया अपनाएं जाने पर हमेशा आर्थिक लाभ मिलते रहे ।
शिक्षा विभाग द्वारा हमेशा से इस तरह नियम विरुद्ध बीईओ व बीआरसीसी की नियुक्तियों को लेकर प्राचार्य संघ , शिक्षक संघ व सर्व शिक्षक साझा मंच द्वारा प्रारम्भ से इसका विरोध किया जाता रहा है । इन नियुक्तियों को लेकर यह संघ हमेशा मुखर रहा है व लगातार आन्दोलित रहा है । जिस पर कार्यवाही भी की गई किंतु इसके बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी पैसों के लालच में फिर वही गलती दोहरा रहे हैं । संभव है कि जल्द ही विभाग द्वारा नियम विरुद्ध किये गए इन नियुक्तियों के खिलाफ विभिन्न प्राचार्य व शिक्षक संघ फिर आंदोलन के राह पर आ सकता है ।

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