:राजकुमार मल:
भाटापारा- पार्किंग मतलब प्रॉब्लम। सुनने और दूर करने वाले नहीं।
इसलिए नियमित आवाजाही करने वाले सबसे ज्यादा परेशान हो चले हैं।
नाराज ऐसे यात्री भी हैं, जिनको विवशता में पार्किंग की जरूरत पड़ती है।
रेलवे स्टेशन का पार्किंग अब वाहन मालिकों को नाराजगी बढ़ाने में लगा हुआ है। कई तरह की शिकायतों के बीच भी नाराजगी जिम्मेदार अधिकारियों को मौन समर्थन से भी बढ़ रही है क्योंकि पार्किंग ठेकेदार और स्टाॅफ का व्यवहार सहयोगात्मक नहीं है।

शिकायत पुस्तिका से इनकार
नियम है पार्किंग कार्यालय में शिकायत पुस्तिका का होना। यह इसलिए क्योंकि वाहन मालिक अपनी समस्या की जानकारी संबंधित अधिकारी व कार्यालय तक लिखित में पहुंचा सकें लेकिन पार्किंग ठेकेदार ऐसी किसी भी व्यवस्था से इनकार कर रहा है। विवश वाहन मालिक अब उच्च स्तरीय शिकायत का विचार कर रहे हैं।
अलग से जीएसटी क्यों ?
तय किराया में जीएसटी चार्ज शामिल है लेकिन पार्किंग स्टाफ अतिरिक्त रूप से जीएसटी चार्ज ले रहा हैं। यह व्यवस्था एक ही वाहन रखने पर दो बार प्रभावी की जा रही है। दोहरी मार है वाहन मालिकों पर लेकिन संतोषजनक जवाब देने वालों ने मौन साधा हुआ है।

मौन संरक्षण व्यवस्था का
स्टेशन क्षेत्र की व्यवस्था सुचारू रूप से बनी रहे, इसकी निगरानी के लिए स्टेशन अधीक्षक की तैनाती की हुई है लेकिन रेलवे पार्किंग की अव्यवस्था को लेकर जिस तरह का मौन उन्होंने साधा हुआ है, उससे पार्किंग एरिया में पहुंचने वाले वाहन मालिकों की नाराजगी बढ़ रही है। सुनवाई नहीं होता देख अब मुख्यालय स्तर पर शिकायत की तैयारी है।