Alert: अमन के परिंदे भी रोक रहे इंसानों की सांसे…अनदेखा खतरा, जिसे नज़रअंदाज़ करना हो सकता है घातक

कबूतर हजारों साल से मनुष्य के साथ रहते आए हैं। पहले इन्हें संदेशवाहक, भोजन स्रोत और धार्मिक प्रतीक के रूप में महत्व मिला। परंतु आज शहरीकरण और मानव स्वभाव के कारण कबूतरों की संख्या असामान्य रूप से बढ़ गई है।



लोग दाना डालकर इन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इमारतों की छतें और खिड़कियाँ इन्हें बसेरा देती हैं। गंदगी और खुले में पड़ा खाना इनके लिए भोजन का आसान स्रोत है।यही वजह है कि अब शहरों में कबूतरों की भीड़ बढ़ती जा रही है और इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं।

कबूतरों की बीट और पंखों में कई प्रकार के कीटाणु, बैक्टीरिया और फफूंद पनपते हैं। जब यह सूखकर हवा में उड़ते हैं, तो सांस के जरिए हमारे शरीर में चले जाते हैं और बीमारियाँ पैदा करते हैं।

प्रमुख बीमारियाँ –

  1. हिस्टोप्लास्मोसिस – एक फंगल संक्रमण जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। खांसी, बुखार और थकान इसके लक्षण हैं।
  2. क्रिप्टोकोकोसिस – कबूतरों की बीट से पनपने वाला फंगस क्रिप्टोकोकस कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में गंभीर फेफड़ों और दिमाग की बीमारी तक पैदा कर सकता है।
  3. क्लेमाइडियोसिस – यह बैक्टीरिया से फैलता है, जिससे फ्लू जैसे लक्षण, तेज बुखार और फेफड़ों का संक्रमण होता है।
    • एलर्जी और दमा – कबूतरों के पंख और मल में मौजूद सूक्ष्म कण लंबे समय तक सांस के जरिए शरीर में जाकर एलर्जी और दमा पैदा कर सकते हैं। लंबे समय में यह लंग फाइब्रोसिस जैसी जानलेवा बीमारी बन सकता है।
    • कबूतरों की बढ़ती संख्या का असर

      स्वास्थ्य संकट: सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, बच्चों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों पर होता है।
    • साफ-सफाई की समस्या: कबूतरों की बीट इमारतों, गाड़ियों और सार्वजनिक स्थलों को गंदा कर देती है।
    • आर्थिक नुकसान: लगातार सफाई और मरम्मत पर खर्च बढ़ता है।
    • पारिस्थितिक असंतुलन: शहरों में इनके झुंड बढ़ने से दूसरे पक्षियों की संख्या कम हो रही है।



क्या करें और क्या न करें

क्या करें

  • घर की छत, खिड़कियों और बालकनियों पर जाली लगाएँ।
  • कबूतरों की बीट नियमित साफ करें, और सफाई करते समय मास्क व दस्ताने पहनें।
  • बच्चों और बुजुर्गों को कबूतरों की भीड़ से दूर रखें।
  • यदि लंबे समय तक खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएँ।

क्या न करें

  • सार्वजनिक जगहों या इमारतों में कबूतरों को दाना न डालें।
  • छत या बालकनी पर कबूतरों को घोंसला बनाने न दें।
  • कबूतरों की बीट को सूखने न दें, क्योंकि सूखने के बाद यह और खतरनाक हो जाती है।

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