:टोकेश्वर साहू:
कांकेर। सरकार दावा करती है कि जिले के अंदरूनी गांवों तक
पहुंचने के लिए पहुंच मार्ग सड़क, पुलिया इत्यादि का निर्माण कराया गया है,
जिससे ग्रामीणों को काफी सुविधा प्राप्त हुई है, जिसकी वाहवाही सरकार
बटोरने में लगी हुई है. परंतु जब धरातल की बात की जाए तो जिले के
अंदरुनी गांवों में आज भी स्थिति सैकड़ों सालों पहले जैसी थी वैसे ही बनी हुई है,
लोग मार्ग नहीं होने के कारण कई सारे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
वहीं नदी में पुलिया नहीं होने के कारण आज भी ग्रामीण अपनी जान हथेली
में लेकर नदी पार करने का मजबूर हैं।

हाल ही में एक तस्वीर सामने आई है जहां ग्रामीण ऐसे ही हालातों से जूझ रहे हैं, तस्वीर में साफ साफ नजर आ रहा है कि नदी में पुल नहीं होने के कारण मोटरसाइकिल को 4 से 5 लोग लकड़ी के माध्यम से अपने कंधों में ढोकर उफनती नदी को पार कर रहे हैं।
कांकेर जिले के बडगाँव क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम मुरांवडी में बडगाँव से मुरांवडी जाने वाले मार्ग पर एक नदी पडता है जिसमें आज तक पुल निर्माण नहीं किया गया है। पुल निर्माण के लिए सेक्शन भी हो चुका है। परंतु ठेकेदार द्वारा आज तक पुल निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं की गई है, जिसके चलते बारिश के दिनों में वहाँ के ग्रामीणों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बारिश में नदी अपने उफान पर रहती है। इस दौरान अगर ग्रामीणों को किसी भी चीज़ों की आवश्यकता होने पर वह उस उफनती नदी को जान जोखिम में डालकर पार करते हैं, और अपनी रोजमर्रा की समान लेने बड़गाँव पहुँचते हैं।
4 कंधों से वाहनों को नदी में किया जाता है पार
ग्रामीणों ने जनधारा से बात करते हुए बताया कि जब उन्हें अपनी रोजमर्रा के समानों के लिए 8 से 10 किमी दूर बड़गांव जाना पड़ता है तो वह अपनी मोटरसाइकल वाहनों को चार पांच लोग मिलकर लकड़ी के डंडों के सहारे कंधों में उठाकर वाहन को नदी पार कराते हैं तब जाकर वह अपनी रोजमर्रा के समान लेने बड़गांव पहुंचते हैं।
नदी पार करते समय होती है जान की जोखिम, मजबूरी में पार करना पड़ता है नदी
ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अपनी रोजमर्रा की सामानों के लिए बडगाँव में लगने वाले साप्ताहिक बाज़ार पर निर्भर होना पड़ता है।
और बड़गांव तक पहुंचने के लिए मात्र एक ही मार्ग है जिसमें वह नदी आता है।

अब बारिश के समय में अगर वह उफनती नदी को पार कर अपनी रोजमर्रा के समानों के लिए बाज़ार नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें भूखे ही जीवन यापन करना पड़ेगा। ऐसे में वह करे तो क्या करें मजबूरी में वह उफनती नदी को अपनी जान जोखिम में डालकर पार करते हैं।
नदी उस पर दर्जनों गाँव बारिश में हो जाते हैं टापू में तब्दील
मुरावडी नदी के उस पार ग्राम मुरांवडी, पीतेगुडूम, तडहूर, मरकाचुवा जैसे लगभग दर्जनों गांव आते हैं, जो बारिश के समय में नदी में अधिक बाढ़ आने के कारण नदी पार नहीं कर पाते हैं, जिससे वह बारिश के दिनों में टापू में तब्दील हो जाते हैं।
गांव के पड़ने वाले बच्चे भी उच्च शिक्षा के लिए बड़गाँव व अन्य जगहों पर जाते हैं जो नदी में बाढ़ होने की वजह से बारिश के दिनों में नहीं जा पाते हैं जिससे उनकी पढ़ाई लिखाई काफी प्रभावित होती है।
गांवों तक नहीं पहुंच पाता एंबुलेंस वह चार चक्का वाहन
ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के समय उनके गांवों में अगर किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाता है तो एंबुलेंस को फोन करने पर एंबुलेंस नदी तक ही आ पाती है। उससे आगे एंबुलेंस नहीं आ पाती और न ही कोई चार चक्का वाहन नदी पार कर पाती है, तो ऐसे में ग्रामीणों को मरीज को काँधों में ही ढोकर नदी पार कराना पड़ता है, तब जाकर उन्हें उचित उपचार के लिए एंबुलेंस के माध्यम से बड़गाँव या जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया जाता है।
स्वीकृति होने के बाद भी ठेकेदार कार्य नहीं कर रहे प्रारंभ
ग्राम मुरांवडी के उप सरपंच सोमजू उसेंडी ने बताया कि वह नदी में पुल निर्माण के लिए कई बार आवेदन किए जिसके बाद पुल निर्माण की स्वीकृति 2024 मे सरकार द्वारा दी गई है
परंतु ठेकेदार द्वारा आज तक पुल निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है जिसके चलते गांववालों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ठेकेदार से बात करने पर उन्हें जवाब दिया जाता है कि जल्द ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाएगा।