अब भूरा माहो का प्रकोप…असीमित उर्वरक छिड़काव और फसल प्रबंधन में लापरवाही पड़ रही भारी

3 माह की कड़ी मेहनत रंग लाने लगी है लेकिन बढ़ते तरह-तरह के कीट, समस्या खड़ी कर रहे हैं। पेनिकल माइट और तना छेदक के बाद अब भूरा माहो तेजी से फसलों पर फैलाव ले रहा है।धान की खेती का बड़ा रकबा वाला अपना छत्तीसगढ़ इस समय कीट प्रकोप से दो-चार हो रहा है ।फसल बचाने की जुगत में बड़ी रकम, कीटनाशक की खरीदी में लग रही है लेकिन प्रभावी नियंत्रण अब भी कोसों दूर है।


फैलने लगा है भूरा माहो

पोषक तत्वों को चूसने वाले घातक कीट में भूरा माहो ऐसा खतरनाक कीट है, जो बालियां निकलने की अवस्था में पौधों पर हमला करता है। इस समय धान की फसल, बालियां निकलने की अवस्था में आ चुकी हैं, लिहाजा यह कीट, परिवार सहित सक्रिय है और बालियों में पहुंचने वाले पोषक तत्व को चूस रहा है। इससे बालियों में दाने नहीं बन पा रहे हैं।


इसलिए फैल रहे

रासायनिक उर्वरक का छिड़काव मानक से ज्यादा मात्रा में किया जाना बड़ी वजह के रूप में सामने आई है। कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि मेड़ों की स्वच्छता को लेकर भी जमकर लापरवाही बरती गई है। इसके अलावा ज्यादा पैदावार के लोभ में ज्यादा बीज डाले गए हैं, या रोपाई में ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। इसकी वजह से भी कीट अपना परिवार बढ़ा रहे हैं।


नियंत्रण के लिए यह दवाएं

जिन खेतों में पानी भरा हुआ है वहां का निकास द्वार अच्छी तरह बंद करें। माहो के प्रकोप वाले खेतों में पाइमेट्रोजिन, थायोमेथेक्जाम,इमीडाक्लोरोप्रीड,फिप्रोनिल,ब्यूप्रोफेजिन, और
डाइनोटेफ्यूरॉन, में से किसी एक दवा का छिड़काव किए जाने की सलाह दी जा रही है।

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