:विशाल ठाकुर:
धमतरी। मन को शीतलता देने वाली मां शीतला मंदिर धमतरी में नवरात्र महोत्सव की धूम है।
इस साल मंदिर में 212 श्रद्धालुओं ने मनोकामना ज्योत जलवाए है। नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार
को धीवर समाज की ओर से समाजजनों को मां मड़वा रानी (चांपा-कोरबा) की
धार्मिक यात्रा पर भेजा गया। सुबह 9 बजे महापौर रामू रोहरा ने धर्म ध्वजा
दिखाकर समाजजनों को धार्मिक यात्रा के लिए रवाना किया।

इस मौके पर महापौर रामू रोहरा ने कहा कि नवरात्रि के पावन पर्व पर जीवन समाज की ओर से धार्मिक यात्रा कर मां दुर्गा की आराधना का यह पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मां दुर्गा की आशीर्वाद सभी भक्तों पर बनी रहे।
उन्होंने आगे कहा कि नवरात्रि के अवसर पर ही देश की जनता को जीएसटी में कटौती के रूप में सौगात मिली है जिसका असर जल्द ही दिखाई देने लगेगा। महंगाई घटेगी और आम जनता को सस्ता और सुलभ खाद्यान्न समेत सभी चीजें सस्ती मिगेगी।

नवरात्रि सीधा लाभ जनता को होगी । मोदी जी ने नवरात्रि की सौगात आम जनता को दी है। उन्होंने आगे कहा कि धीवर समाज की ओर से सामूहिक रूप से तीर्थ यात्रा का यह पहल बहुत ही अच्छी पहल है।
धीवर समाज के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद जगबेड़हा, सचिव सोहन धीवर ने बताया कि समाज की ओर से हर नवरात्र और सावन महोत्सव में समाजजनों को धार्मिक यात्रा कराई जाती है। इससे सामाजिक एकता और भाईचारे की नींव मजबूत होती है।
समाज में ऐसे कई लोग हैं, जो तीर्थयात्रा करना चाहते हैं, लेकिन किसी कारणवश नहीं जा पाते। इसे देखते हुए समाज की ओर से पहल कर साल में दो बार बच्चों से लेकर बडे़-बुजुर्गो को विविध तीर्थो का दर्शन कराया जाता है।
इस मौके पर समाज के संरक्षक परमेश्वर फूटान, होरीलाल मत्स्यपाल, सोनूराम सपहा, शैलेन्द्र नाग, दुर्गेश रिगरी, राजू ओझा, कृष्णा हिरवानी, राजेंद्र शर्मा, पिंटू यादव,
हेमंत बंजारे,कुलेश सोनी, गजेंद्र कंवर, अज्जू देशलहरे, तल्लीनपुरी गोस्वामी, अर्जुन नाग उमेश नाग यशवंत कोसरिया, गजेश कोसरिया,
पतालू नाग,एकलव्य फूटान, विनोद ओझा, सुरेश सपहा समेत बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे।
मां मड़वा रानी की महिमा
मां मड़वा रानी की कहानी के अनुसार एक राजकुमारी का विवाह उसके पिता ने तय किया था, लेकिन माता रानी ने अपना विवाह मंडप (जिसे 'मड़वा' कहते हैं) छोड़कर कलमी के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव से मिलन किया। तभी से वे "मड़वारानी" कहलाईं और उनके सम्मान में कोरबा, छत्तीसगढ़ में एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ आज भी हजारों श्रद्धालु नवरात्रि में आते हैं।
मंदिर का महत्व पाषाणों पर हल्दी के निशान: यह भी माना जाता है कि जब माता रानी अपना विवाह मंडप छोड़कर आई थीं, तो उनके हाथ में लगी हल्दी रास्ते में एक पत्थर पर गिर गई थी, जिससे वह पत्थर पीला पड़ गया। आज भी मड़वारानी मंदिर के पास वह पत्थर मौजूद है। मान्यता है कि मड़वारानी के साथ उनकी सहेलियाँ भी विवाह के समय से आईं, जिनमें आरती, भारती, मालती और शांति शामिल हैं। ये सभी माताएँ एक साथ एक पेड़ के नीचे विराजमान हैं। नवरात्रि के दौरान मड़वारानी मंदिर में हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। इस प्रकार मड़वारानी की कहानी एक अविवाहित राजकुमारी के विवाह मंडप छोड़कर अपने प्रिय से मिलने की कहानी है, जो आज भी भक्तों के बीच गहरी आस्था का प्रतीक है।