:जितेंद्र शुक्ला:
बेमेतरा: जिले में एक अजब-गजब मामला सामने आया है. जहाँ सरकारी रिकॉर्ड में 1993 से मृत घोषित की गई महिला अचानक ज़िंदा कलेक्टोरेट दफ़्तर पहुँच गई। इस घटना से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।
बेमेतरा कलेक्टोरेट में उस वक्त लोग अचंभित रह गए… जब बिलासपुर निवासी 80 वर्षीय शैल शर्मा पति देवनारायण शर्मा अपने परिवार के साथ कलेक्टोरेट दफ़्तर पहुँचीं।महिला ने खुद का मृत्यु प्रमाण-पत्र दिखाते हुए बताया कि यह फर्जी तरीके से 2 अप्रैल 1993 को मारो चौकी से जारी किया गया था।
शैल शर्मा का आरोप है कि इस प्रमाण-पत्र का उनकी बहू रंजना शर्मा बेजा इस्तेमाल कर रही है। महिला ने बताया कि मृत्यु प्रमाण-पत्र दिखाकर सतना में उनके पति के नाम की जमीन को बेटी के नाम पर नामांतरण करा लिया गया।

महिला ने आशंका जताई कि भविष्य में भी इसी तरह से अन्य संपत्तियों और दस्तावेज़ों में फर्जीवाड़ा किया जा सकता है। उन्होंने जिला प्रशासन से मामले की गंभीर जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
जीवित होने के प्रमाण के तौर पर महिला ने अपना आधार कार्ड, पासपोर्ट, पेंशन बैंक खाता और पैन कार्ड भी प्रस्तुत किया।
जानकारी के मुताबिक यह मृत्यु प्रमाण-पत्र एकीकृत मध्यप्रदेश के समय, जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम 1963 की धारा 12/17 के तहत मारो चौकी प्रभारी के हस्ताक्षर से जारी किया गया था।
बहरहाल, 32 साल बाद सामने आए इस फर्जी मृत्यु प्रमाण-पत्र के मामले ने प्रशासन के रिकॉर्ड और उसकी विश्वसनीयता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं