रायपुर: दुनिया एक रंगमंच है और यहां हर कोई अपनी भूमिका निभाने आया है। बहुत से लोग अपनी भूमिका अच्छे से निभा पाते हैं और उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जाता है।
इस रंगमंच के ऐसे ही एक फनकार थे, हबीब तनवीर।
हबीब तनवीर, देश के रंगमंच का ऐसा नाम है जिन्हें उनके रंगमंच की खास शैली के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपनी अनूठी शैली के माध्यम से नाट्य को ‘लोक’ तक पहुंचाया। उनके नाटकों की खासियत यही है कि उनमें समाज से जुड़ी ऐसी समस्याओं का उल्लेख होता है जो आमवर्ग को प्रभावित करती हैं।

हबीब तनवीर का जन्म एक सितंबर 1923 को रायपुर (तब मप्र में था, अब छत्तीसगढ़ की राजधानी) में हुआ था, जबकि निधन आठ जून 2009 को भोपाल में हुआ।
उनके जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी रायपुर द्वारा सड्डू स्थित जनमंच में रंग हबीब का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें हबीब तनवीर की कृति गांव के नांव ससुरार मोर नांव दामाद का मंचन किया जाएगा नाटक के कुछ अंश का मंचन होगा. इसका निर्देशन रचना मिश्रा ने किया है.

इसके साथ हबीब तनवीर के रंगकर्म और उनकी रंगभाषा पर योग मिश्रा का व्याख्यान होगा इसके बाद हबीब तनवीर के थियेटर से जुड़े कलाकार अमर सिंह का भी सम्मान किया जाएगा
इसमें बुढवा का किरदार हेमंत यादव, पिता थावेंद्र रजक, मान्ती संध्या वर्मा, शांति मनीषा दुबे, छंगलु महेश्वर मंगलु थावेंद्र रजक, देवार और तीसरा आदमी हेमंत निषाद देवारिन सीमा सोनी पंडित का पात्र उमेश उपाध्याय निभाएंगे इसका मंचन शाम 7 बजे से शुरू होगा
 
	
 
											 
											 
											 
											