कांग्रेस की अंर्तकलह- संतों घर में झगड़ा भारी

चाहे छत्तीसगढ़ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व हो या मध्यप्रदेश का शीर्ष नेतृत्व दोनों के बीच इस समय घमासान मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ जो कभी कांग्रेस का गढ़ समझा जाता था वहां पर मध्यप्रदेश विभाजन के बाद अजित जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। उस समय भी कांग्रेस में सिर फुटव्वल की स्थिति निर्मित हुई। 15 साल की डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को हटाकर एक बार फिर भारी भरकम बहुतम के साथ भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। किन्तु कभी ढाई-ढाई साल तो कभी नेतृत्व की मनमानी को लेकर कांग्रेस के भीतर झगड़े जारी रहे। अब जब कांग्रेस विपक्ष में है, तब भी कांग्रेस में घमासा मचा हुआ है।
कबीर साहब का एक दोहा है….
संतो घर में झगरा भारी। राति दिवस मिलि उठि उठि लागैं, पाँच ढोटा ‘ एक नारी ॥ न्यारो न्यारो भोजन चाहें , पाँचो अधिक सवादी। कोउ काहु को हटा न माने, आपुहि आप मुरादी॥ दुर्मति केर दोहागिन ‘मेटो , ढोटेहि चाप चपेरे। कहैं कबीर सोई जन मेरा, जो घर की रारि निवेरे ‘।।
तो इस समय छत्तीसगढ़ कांग्रेस में एक बार फिर नेतृत्व को लेकर हलचल तेज हो गई है। इस बार पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे के बयान ने नेतृत्व को लेकर पार्टी के भीतरखाने में उबाल ला दिया है। मध्यप्रदेश के समय के मंत्री रहे और छत्तीसगढ़ के राजनैतिक परिवार से तालुक रखने वाले रविंद्र चौबे छत्तीसगढ़ की सियासत में अपनी विद्वता और विशिष्ट कार्यशैली के लिए जाने पहचाने जाते हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भूपेश को कांग्रेस का नेतृत्व सौंपने की बात कही। अभी कुछ अरसे पहले ही भूपेश बघेल को राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब का प्रभारी बनाया गया है, लेकिन रविंद्र चौबे ने उन्हें प्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व सौंपने की बात कह कर कांग्रेस खेमे में हलचल मचा दी है।
विधायिका का चुनाव हार चुके वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रवींद्र चौबे के बयान पर कहा कि वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाज्ञानी नेता हैं। अगर यह उनका बयान है, तो उनका निजी बयान है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्पष्ट कहा है कि कांग्रेस कलेक्टिव लीडरशिप के साथ जनहित के मुद्दों पर ही लड़ाई लड़ेगी और दोबारा सरकार बनाएगी। क्या वास्तव में वर्तमान कांग्रेस का नेतृत्व मजबूत है। भाजपा कांग्रेस के भीतर मची इस बयानबाजी और उठापटक का पूरा मजा ले रही है। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ता कांग्रेस से दूर हो चुके हैं। जनता पूरी तरह कांग्रेस से दूर हो चुकी है। नेता अपना वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेस धरातल खो चुकी है। कांग्रेस का भविष्य नहीं बचा है।
यदि रवींद्र चौबे की माने तो उन्होंने कहा कि 2018 में सरकार बनाने के इसके साथ ही लगातार देश की राजनीति में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी के साथ अगर कोई खड़ा हुआ है तो वह केवल छत्तीसगढ़ का नेता भूपेश बघेल है। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ कोई आवाज उठा रहा है, तो केवल और केवल भूपेश बघेल आवाज उठा रहे हैं।
रविंद्र चौबे का मानना है कि मोदी-शाह के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से आज उन्हें कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। उनको लगातार तंग करने की कोशिश हो रही है। ईडी- सीबीआई-इनकम टैक्स की कार्रवाई उन पर, उनके परिवार और कांग्रेसियों पर की जा रही है।
इस समय रवींद्र चौबे के इस बयान के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज हैं, लेकिन इस मौके पर चौबे का भूपेश बघेल के नेतृत्व की जरूरत पर जोर देना संगठनात्मक असंतोष का संकेत माना जा रहा है। कांग्रेस में डॉ. चरणदास महंत जो नेता प्रतिपक्ष है वे सबको साधकर चलना चाहते हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनके क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। वहीं छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री रहे टी.एस. सिंहदेव के सरगुजा संभाग से पूरी तरह कांग्रेस का सफाया हो गया वे खुद भी अपने ही शर्गिद राजेश अग्रवाल से चुनाव हार गये। ऐसे में यदि रवींद्र चौबे, भूपेश बघेल की बात कर रहे हैं तो कोई आश्चर्य नहीं होता। भूपेश बघेल जैसा जुझारुमन कांग्रेस के दूसरे नेताओं में नहीं दिखता।

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