:रमेश गुप्ता:
भिलाई। क्रिमिनल जस्टिस से संबंधित एजेंसी पुलिस व हॉस्पिटल को पोर्टल के माध्यम से एक साथ जोड़ा जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने मेडिको लीगल परीक्षण एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट सिस्टम (MedLEaPR) लॉन्च किया है।
यह पोर्टल पुलिस व डॉक्टर्स के बीच एक सेतू की तरह काम करेगा जिससे एमएलसी रिपोर्ट पाना आसान हो जाएगा।
क्योंकि एमएलसी का पूरा प्रोसेस अब ऑनलाइन होने जा रहा है, जिससे एमएलसी की वजह
से होने वाली देरी की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। छत्तीसगढ़ में दुर्ग पुलिस ने
सबसे पहले सीसीटीएनएस में इस पोर्टल को अपलोड किया।
यही नहीं थानों से भी इसमें रिपोर्ट अपलोड होने लगी है।

दरअसल मारपीट जैसे गंभीर अपराधों में एमएलसी रिपोर्ट की खास अहमियत होती है। अक्सर देखा गया है कि रिपोर्ट के बाद मेडिकल रिपोर्ट में देरी होती है और कई बार रिपोर्ट प्राभावित भी होती है। ऐसी समस्याओं को दूर करने व एमएलसी के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। मेडिको लीगल परीक्षण एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट सिस्टम (medLEaPR) नाम का यह सॉफ्टवेयर एमएलसी फीडिंग के काम में लिया जाएगा। इस पोर्टल से दुर्ग पुलिस के सभी थानों को जोड़ा गया है जिससे की सभी थाने अपने यहां की रिपोर्ट को स्वयं भर सके व चेक कर सके।
ऑनलाइन पहुंचेगी एमएलसी रिपोर्ट
दुर्ग पुलिस अपने थानों को पूरी तरह से डिजीटल करने के प्रयास में है। दुर्ग पुलिस का सीसीटीएनएस पहले से ही इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। अब मेडिको लीगल परीक्षण एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट सिस्टम (medLEaPR) अपराधियों को सजा दिलवाने दुर्ग पुलिस के लिए किसी ब्रह्मास्त्र से कम नहीं है। ऑफलाइन की जगह इस सॉफ्टवेयर में एमएलसी की रिपोर्ट अस्पताल द्वारा भरी जाएगी कि जो 24 घंटे में संबंधित थाने तक पहुंच जाएगी और पुलिस अधिकारी उसे डाउनलोड कर केस में आगे की कार्रवाई कर पाएंगे। नई व्यवस्था से ऑफलाइन एमएलसी की प्रक्रिया से होने वाली देरी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
जानिए कैसी होगी पूरी प्रक्रिया
किसी भी मारपीट, चाकू बाजी में घायल व्यक्ति का मेडिकल कराया जाता है। इसके लिए पीड़ित को जांच के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। ऐसे मामलों में जांच के बाद चिकित्सकों द्वारा जांच रिपोर्ट मेनुली बनाकर दिया जाता है। इसमें लाने व ले जाने की बाध्यता होती है जिसमें समय लगता है। नई व्यवस्था यानी मेडलएप पोर्टल के जरिए भी पुलिस द्वारा घटना के बाद थाने में ऑनलाइन एमएलसी भारी जाएगी। जब पुलिस कर्मचारी पीड़ित को अस्पताल जांच के लिए ले जाएगा तब डॉक्टर भी एमएलसी ऑनलाइन फीड करेंगे, जो थाने को ऑनलाइन ही प्राप्त हो जाएगी। ऐसे में जो मेडिकल रिपोर्ट्स की वजह से देरी होती है और इन्वेस्टीगेशन में ज़्यादा समय लगता है उसकी अवधि कम हो जाएगी।
नेशनल इन्फर्मेशन सेंटर ने विकसित किया है पोर्टल
बता दें यह पोर्टल National Informatics Centre (NIC) द्वारा विकसित किया गया। अब सभी एमएलसी Medico Legal Certificates (MLCs) और Post-Mortem Reports (PMRs) केवल इसी पोर्टल पर तैयार और जमा होंगे। हस्तलिखित रिपोर्ट अब स्वीकार नहीं की जाएगी। सभी मेडिकल अधिकारी और चिकित्सकों का पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। नोडल अधिकारी अस्पताल-प्रमाणित ID देखकर खाता दो दिन के भीतर अनुमोदित करेंगे। डॉक्टर का स्थानांतरण, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति या इस्तीफा होने पर यह जानकारी नोडल अधिकारी को देकर पोर्टल पर अपडेट करना होगा।
पोर्टल से यह होंगे फायदे
पोर्टल के माध्यम से रिपोर्ट तैयार करने और जमा करने का समय घटेगा।
जिससे दिल्ली में न्यायिक प्रक्रिया तेज होगी।
कागज़ी कार्यवाही घटेगी, जवाबदेही सुनिश्चित होगी तथा केंद्रीकृत डाटाबेस व ऑडिट ट्रेल उपलब्ध रहेगा।
तकनीक के माध्यम से लोगों को तेज़, पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं मिलेंगी।
मैनुअल डॉक्यूमेंटेशन की तुलना में यह पोर्टल अधिक सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करेगा।
स्वास्थ्य संस्थानों और कानून-व्यवस्था एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और संचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
सीसीटीएनएस एकीकरण से केस प्रबंधन और ट्रैकिंग आसान होगी।
फॉरेंसिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तुरंत उपलब्ध होने से अपराध की विवेचना में तेजी आएगी।
पुलिस के लिए यह पोर्टल बेहद महत्वपूर्ण, क्योंकि समय पर और सटीक रिपोर्ट मिलने से जांच तेज़ होगी।
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साक्ष्य संग्रहण, कन्विक्शन और सजायाफ्ता में मदद मिलेगी। इसे लेकर दुर्ग पुलिस ऑपरेर्ट्स को प्रशिक्षण भी दे रही है।
विजय अग्रवाल, एसएसपी दुर्ग