नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जली हुई नकदी मिलने के मामले में उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जांच प्रक्रिया वैध थी और मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश संवैधानिक रूप से मान्य है।
क्या है पूरा मामला?
- जस्टिस यशवंत वर्मा, जो दिल्ली हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं, के सरकारी आवास से जली हुई नकदी मिलने के बाद एक जांच समिति गठित की गई थी।
- तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश भेजी थी।
- जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने और मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश को चुनौती देने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
- जांच प्रक्रिया वैध: कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वर्मा ने खुद जांच में भाग लिया था, इसलिए अब वे इसकी वैधता पर सवाल नहीं उठा सकते।
- सिफारिश संवैधानिक: मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति और पीएम को भेजी गई सिफारिश को पूरी तरह कानूनी बताया गया।
- आचरण पर सवाल: कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वर्मा का आचरण विश्वास जगाने वाला नहीं रहा।
- वीडियो अपलोड करने पर: मुख्य न्यायाधीश द्वारा जस्टिस वर्मा के आवास से जलती नकदी का वीडियो सार्वजनिक करने पर कोर्ट ने कहा कि इससे प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई, क्योंकि वर्मा ने पहले इसका विरोध नहीं किया था।
याचिका क्यों दायर की गई थी?
जस्टिस वर्मा ने दावा किया था कि जांच समिति की प्रक्रिया गलत थी और मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश उनके खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया।
अब यह फैसला जस्टिस वर्मा के खिलाफ चल रई कार्रवाई को और मजबूती देगा।