नगर की सुंदरता , बेहतर व सुरक्षित यातायात के लिए 52 फिट वाले विवाद को समाप्त करना होगा
■ नगर विकास में यह सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही ■
दिलीप गुप्ता, सरायपाली :- किसी भी नगर व शहर के सर्वांगीण विकास व सुंदरता वहां के निगम , आम जनता व जनप्रतिनिधियों के आपसी तालमेल व परस्पर सहयोग की भावना से संभव हो पाता है । इस हेतु नगरवासियो व संबंधित अधिकारियों का यह प्रथम दायित्व होता है कि नियम व कानून के तहत कार्य हो व आम जनता का कम से कम नुकसान हो । किंतु अत्यधिक छूट नगर विकास में बाधक बनती है । कुछ इसी तरह की परिस्थितियां सरायपाली में वर्षो से देखी जा रही है । नगर की सुंदरता , बेहतर व सुरक्षित यातायात के लिए थाना चौक से जयस्तंभ चौक तक साढ़े 52 फिट चौड़ाई का मुद्दा विकास में सबसे बड़ा मुद्दा व समस्या बनकर उभरता है । स्थानीय नगरीय प्रशासन व राजस्व विभाग के अधिकारियों को आपस मे बैठकर पहले इस दावे की दस्तावेजी प्रमाण व इज़के वैधानिकता पर गहन विचार कर इस पर क्या निर्णय कानूनी तौर पर लिया जा सकता है पर विचार करना चाहिए । यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के 60 फिट वाला नियम यह लागू हो सकता है तो इस मामले को त्वरित सुलझाने व कार्यवाही किया जाकर हमेशा के लिए इस समस्या व विवाद को समाप्त कर नगर विकास को आगे तेज गति से आगे बढ़ना चाहिए । यह साढ़े 52 फिट का मुद्दा नगर विकास में सबसे बड़ी बाधा के रूप में हमेशा सामने आ जाने से आगे की अतिक्रमण हटाने , सड़क व नाली निर्माण का कार्य अभी तक यही आकर हमेशा रुक जाता है । प्रशासनिक अधिकारियों को इसका कानूनी रूप से सर्वसम्मति से इसका हल निकालना चाहिए ।
नगर में अधिकांश आवासीय मकान व दुकाने शासन के नियमानुसार 60 × 60 फिट में की दूरी छोड़कर बनाया गया है । पूर्व में राजमार्ग व पीडब्लूडी द्वारा भवन निर्माण हेतु 60 फिट छोड़कर ही अनुज्ञापत्र जारी किया जाता था । किंतु यह अनुज्ञापत्र जारी किए जाने के बाद विभाग यह भूल जाता था कि अनुज्ञापत्र के अनुसार भवन निर्माण हो रहा है या नही । जिसके चलते भवन मालिक मनमाने तरीके से मकान बना लिया करते थे । जब कभी अतिक्रमण हटाने की बारी आती थी उस समय विभिन्न कारण बताकर बेवजह विवाद किया जाने से अधिकारी भी आगे की कार्यवाही नही करते थे जिसके असर यह होता था कि अन्य लोगों को इससे प्रोत्सान मिलता था व अतिक्रमण करने के लिए लोगों को मौका मिलता था । प्रशासन व आम जनता यदि स्वयं होकर इसे गंभीरता से ले तो इस तरह की समस्याओ से छुटकारा मिल सकता है ।
इसी तरह नगर में अग्रसेन चौक से जयस्तंभ चौक तक के दोनों तरफ भवनों का निर्माण साढ़े 52 फिट तो कंही 45 फिट तक किया गया है । इन भवन मालिको का कहना है कि दशकों पूर्व हमारे जमीनों की रजिस्ट्री इसी चौड़ाई के अनुसार की गई थी । इसी को आधार बनाकर कुछ प्रभावित भवन मालिक अपना दावा करते रहें है । इस वजह से पिछले कई वर्षों से समय समय पर नगर में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान , नाली व सड़क निर्माण के दौरान इसी स्थान पर आकर मामला अटक जाता है व इसके आगे की कार्यवाही रुक जाती है । इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चल जाता है और जो कार्यवाही कर अतिक्रमण हटाया जाता है वह फिर वापस आ जाता है ।
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इसी तरह अब नगर में निर्माणाधीन गौरव पथ का निर्माण में होना प्रारम्भ हो गया है ।घन्टेस्वरी मंदिर से बैतारी चौक तक के अधिकांश भागो में सड़क , डिवाइडर व नाली का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है । सोहनलाल मोतीलाल पेट्रोल पंप से लेकर नई मंडी तक का कार्य वर्तमान में निर्माणाधीन है । अग्रसेन चौक से जयस्तंभ चौक तक लगभग 500 मीटर का कार्य उपरोक्त विवादों के चलते प्रारम्भ नही हो पा रहा है । हनुमान मंदिर के साइड में कुछ मकान मालिकों द्वारा 45 से साढ़े 52 फिट की सीमा का विवाद गौरवपथ निर्माण में बाधा उतपन्न कर रहा है । इसके दाईं तरफ कुछ मीटर की खुदाई कर गिट्टी डालने व चौड़ी सड़क बनाने में पक्षपात किये जाने का इस लाइन के मकान मालिकों के विरोध के चलते ठेकेदार द्वारा आगे के कार्य को रोकना पड़ गया ।
पीड़ित मकान मालिकों व व्यवसायियों का आरोप है कि अग्रसेन चौक से जयस्तंभ चौक तक एक ही लंबाई व चौड़ाई में निर्माणकार्य किये जाने की जिद पर अड़े हैं । नगर में निर्माणाधीन गौरव पथ लगभग सभी जगह डिवाइडर की चौड़ाई साढ़े 3 फिट , डिवाइडर से नाली तक साढ़े 8 मीटर व 5 फिट चौड़ी नाली का निर्माण किया गया है । इन पीड़ितों का कहना है कि जो प्रस्तावित इस्टीमेट है उसी के हिसाब से इन दोनों चौक के बीच निर्माण होना चाहिए । यदि इसके विपरीत निर्माण कार्य होने व पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाए जाने की स्थिति में सभी पीड़ित परिवार न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे व गौरवपथ का निर्माण नही करने दिया जायेगा । इन पीड़ितों की मांग पर कल एसडीएम द्वारा आयोजित बैठक में पटवारी को नापजोख किये जाने का निर्देश दिया गया था किंतु आक आज तीसरे दिन व्यवतीत हो जाने के बाद इस क्षेत्र की नपाई नही हो सकी है । जब तक स्थिति साफ नही हो जाती तब तक इस क्षेत्र में गौरवपथ का निर्माण संभव नही है । वही मिली जानकारी के अनुसार हनुमान मंदिर के लाइन के व्यवसायियों व भवन मालिको का कहना है कि उनके पास 45 से साढ़े 52 फिट से संबंधित दस्तावेज हैं ।
इस मामले को सलझाने के लिए एसडीएम को चाहिए कि वे दावे को प्रमाणित जार्न वाले उन सभी दस्तावेजो को आमंत्रित कर उसके सत्यापन व वास्तविकता की नियमानुसार जांच कर कार्यवाही करे। नियमतः यह मार्ग पूर्व में राष्ट्रीय राजमार्ग था व बाद में इसे नगरपालिका को हस्तांतरीत कर दिया गया । राष्ट्रीय राजमार्ग में सड़क के दोनों तरफ 60 – 60 की जमीन सरकार की होती है व सरकार को जब इन जमीनों की आवश्यकता होती है तो वह इन जमीनों पर बने अतिक्रमणों व भवनों को तोड़कर जमीन वापस ले लेती है । अब यह देखना राजस्व व प्रशासन का कार्य है कि नियम के विरुद्ध किस नियम व प्रस्ताव के आधार पर उक्त रजिस्ट्री की गई । नगरवासियो व पीड़ित पक्षो ने एसडीएम नम्रता चौबे व सीएमओ से अनुरोध किया है कि इस स्थान पर शीघ्र निर्माण कार्य प्रारंभ हो सके ताकि सभी को राहत महसूस हो इस हेतु जितनी जल्दी हो सके नगर की सुंदरता , बेहतर व सुरक्षित यातायात को ध्यान में रखते हुवे इस विवाद को सर्वसम्मत से कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुवे समाधान करे । नगर विकास में इस सबसे बड़ी बाधा व विवाद को सुलझाते हुवे निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाये ।