राजकुमार मल
Festival of worship Bhatapara : शक्ति का स्वरूप और साधना का पर्व
Festival of worship Bhatapara : भाटापारा– अनिवार्य है पोशाक और आभूषण। अहम हैं शौर्य के प्रतीक अस्त्र-शस्त्र का होना। लेकिन इन सभी के लिए दुर्गा प्रतिमा को आकार दे रहे शिल्पकारों को 2 से 7% अतिरिक्त व्यय करना पड़ रहा है।
3 अक्टूबर से दुर्गोत्सव की शुरुआत हो रही है। स्थापना के लिए समितियां मूर्तिकार तिलक वर्मा के पास पहुंच रहीं हैं लेकिन इस नवरात्रि पर प्रतिमा स्थापना पर अपेक्षाकृत ज्यादा व्यय भार उठाना पड़ेगा समितियों को क्योंकि साज-सज्जा की सामग्रियों की कीमतों में 2 से 7 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
7 से 9 फीट
रुझान हमेशा से बड़ी प्रतिमा की स्थापना को लेकर रहा है। यह इस बार भी बना हुआ है। इसलिए मूर्तिकार तिलक वर्मा इसी आकार की प्रतिमाएं गढ़ रहे हैं। शेष न रह जाएं, इसलिए उतनी ही प्रतिमाएं गढ़ी जा रहीं हैं, जितने के आर्डर मिले हैं। ऑर्डर में 7 से 9 फीट की प्रतिमाओं को प्राथमिकता दे रहीं हैं समितियां।
अहम हैं यह सब
पोशाक और आभूषण। बेहद अहम है यह दोनों लेकिन बीते साल की तुलना में इनकी खरीदी पर 2 से 7 प्रतिशत पैसे ज्यादा देने पड़ रहे हैं। शौर्य के प्रतीक अस्त्र-शस्त्र अंतिम वह सामग्री है, जो प्रतिमा को पूर्णता देते हैं। इनकी कीमत में लगभग 7% की वृद्धि हुई है। इससे भी प्रतिमा निर्माण की लागत बढ़ी हुई है।
पहुंचेंगी 7500 से 15000 में
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Festival of worship Bhatapara : समितियों की तैयारी चालू हो चुकी है, तो मूर्तिकार तिलक वर्मा निर्माण के मध्य भाग में प्रवेश कर चुके हैं। प्रयास पहली अक्टूबर तक हर काम को पूर्ण करने की है। आकार को देखते हुए शुरुआती न्यौछावरी 7500 से होगी, तो अंतिम न्यौछावरी 15000 रुपए तक जा सकती है। स्थापना दिवस 3 अक्टूबर को है।