Bilaspur Coaching Institutes : कोटा का धंधा हुआ मंदा, पर्चा आउट करने वाला गिरोह छत्तीसगढ़ में हुए सक्रिय
Bilaspur Coaching Institutes : बिलासपुर। कोचिंग संस्थानों पर दिशा निर्देश लागू होने के बाद राजस्थान कोटा का धंधा आधा हो गया। दो नियम कक्षा 6 से 10 तक के किसी भी छात्र/छात्रा को कोचिंग में एडमिशन नहीं दिया जा सकता, दूसरा स्कूल टाइम में कोचिंग संस्थानों में कक्षा नहीं लगाई जा सकती, तीसरा हर कोचिंग संस्था की अपनी एक वेबसाइट होगी और उस पर समस्त शिक्षक का नाम शैक्षणिक योग्यता उनके द्वारा पढ़ाई जा रहे विषय को प्रदर्शित करना होगा। इन तीन नियमों की शक्ति से पालन हो तो कोटा के कोचिंग संस्थानों का धंधा आधा हो जायेगा ।
ऐसा होने का व्यवसायिक के लाभ छत्तीसगढ़ के कोचिंग संस्थानों को हो रहा है। राज्य सरकार के दिशा निर्देश पर कोचिंग संस्थानों की जो जांच हो रही है उसमें यह बिंदु ही नहीं है कि कोचिंग में किसे पढ़ाया जा रहा है और उसका समय क्या है।
सरकंडा के एक स्कूल में 12वीं में 150 छात्र और दसवीं में मात्र 16 छात्र इतने पर भी इस स्कूल की मान्यता रद्द नहीं हुई। एक नामी गिरामी कोचिंग संस्था का प्रति माह का रखरखाव लगभग डेढ़ लाख रुपए से ऊपर है, 55000 फीस है। एक शैक्षणिक सत्र में मात्र 6 महीने पढ़ना है जबकि निजी स्तर पर मात्र ₹5000 में एक विषय की तैयारी कर दी जाती है। और पालक के लिए सबसे बड़ा लाभ पढ़ना वाले से सीधा संपर्क जब की कोचिंग संस्था जो कॉर्पोरेट तरीके से चल रही है वह पालक जो अपने जेब से 55000 रुपए देता है उसकी बातचीत की हैसियत फीस काउंटर और एच आर तक है।
Bilaspur Coaching Institutes : सरकार और जिला प्रशासन बहुत ही जल्द नहीं चेता तो प्रश्न पत्रों को आउट करने वाले गिरोह छत्तीसगढ़ में सक्रिय हो चुके हैं। याद करें भारतीय जनता पार्टी का प्रथम शासन में बिलासपुर के पास तखतपुर में फर्जी तरीके से प्रश्न पत्र हल कराया जा रहे थे जो लाभार्थी वहां बैठे थे उनके माता-पिता समाज के प्रभावशाली वर्ग में गिने जाते थे असल आरोपी कभी नहीं पकड़े गए। हां कैसे पर मनमर्जी निर्णय न देने के कारण एक जज की नौकरी चली गई।
Bilaspur Coaching Institutes : प्रतियोगी परीक्षा विशेष कर मेडिकल और इंजीनियरिंग के धंधे में अकूत पैसा है और यह पूरा गिरोह इन दिनों छत्तीसगढ़ में अपना संपर्क सूत्र तैयार कर रहा है यहां पैसा है, मुन्ना भाई है बिकने के लिए निजी स्कूल तैयार है और ग्रामीण क्षेत्रों में भी तथा कथित स्टार फैसिलिटी वाले स्कूल जो डमी एडमिशन के भी गढ़ हैं, तैयार बैठे हैं।