छत्तीसगढ़ में इस साल अब तक 174 नक्सली ढेर
सीआरपीएफ डीजी जीपी सिंह और सीजी डीजीपी अरुण देव ने दी नक्सल ऑपरेशन की जानकारी
रायपुर/बीजापुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे सबसे बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाडिय़ों में 21 दिनों तक चले इस संयुक्त अभियान में अब तक 31 वर्दीधारी माओवादी मारे गए हैं. मुठभेड़ों के दौरान 35 हथियार, 450 आईईडी, सैकड़ों बंकर और माओवादियों की तकनीकी इकाइयां भी नष्ट की गई है.
इस बड़ी सफलता को लेकर बुधवार को बीजापुर में आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीआरपीएफ के डीजी जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने इस अभियान की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 21 अप्रैल से 11 मई तक चला और इसे अब तक का सबसे प्रभावशाली माओवादी विरोधी अभियान माना जा रहा है.
सीआरपीएफ डीजी जीपी सिंह और डीजीपी अरुण गौतम ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देशन में संचालित इस ज्वाइंट एक्शन प्लान के अंतर्गत माओवाद विरोधी अभियान का संचालन किया जा रहा है. माओवाद विरोधी अभियान के मुख्य आयाम हैं-सुरक्षा बलों द्वारा नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना कर सुरक्षा विहीन क्षेत्रों को भरना, माओवाद प्रभावित जिलों में राज्य की विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करना ताकि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो एवं नागरिकों को इसका लाभ मिल सके तथा सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के आर्म्ड कैडर्स एवं उनके संपूर्ण ईको सिस्टम के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना है।
नक्सलियों के अभेद्य गढ़ में पहुंचे सुरक्षा बल
माओवादियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी सहित अनेक शीर्ष कैडर्स की शरणस्थली जिला सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में थी. क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुरक्षा बलों द्वारा अनेक नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना की जाकर आसूचना आधारित अभियानों का संचालन किया जा रहा है. सुरक्षा बलों का वर्चस्व बढऩे के फलस्वरूप माओवादियों द्वारा यूनिफाइड कमांड का गठन किया गया एवं उक्त स्थान से पलायन कर जिला बीजापुर, छत्तीसगढ़ एवं जिला मुलुगु, तेलंगाना की सीमा पर माओवादियों द्वारा अभेद्य समझे जाने वाले करेगुट्टालू पहाड़ पर शरण ली गई.
कर्रेगुट्टा पहाड़ी लगभग 60 किमी लंबा एवं 5 किमी से लेकर 20 किमी चौड़ा अत्यंत दुष्कर पहाड़ी क्षेत्र है. पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति काफी कठिन एवं चुनौतीपूर्ण है. माओवादियों द्वारा विगत ढाई वर्ष में शनै:-शनै: उक्त पहाड़ी में अपना बेस तैयार किया, जिसमें उनके लगभग 300-350 आर्म्ड कैडर्स सहित पीएलजीए बटालियन की टेक्निकल डिपार्टमेंट (टीडी) यूनिट एवं अन्य महत्वपूर्ण संगठनों की शरणस्थली थी.
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