:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- 27 जुलाई को नगर में एक लोकार्पण कार्यक्रम में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व केबिनेट मंत्री के साथ ही अनेक प्रदेश स्तर के नेता व पदाधिकारी शामिल हुए। इस छोटे से कार्यक्रम ने भारी अव्यवस्था के साथ ही नगरपालिका व स्थानीय प्रशासन के तैयारियों की पोल खोल दी । इस छोटे कार्यक्रम में जब इतनी शिकायतें , अव्यवस्थाओं व कार्यक्रम आयोजन के लिए अवैध वसूली की बात सामने आ चुकी है तब बड़े आयोजन कैसे होंगे इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है । वही सबसे गंभीर सोचने वाली बात यह है कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा जिस महिला सशक्तिकरण को मजबूती प्रदान किये जाने प्रयास किया जा रहा है वह इस कार्यक्रम में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ ।

क्षेत्र के विभिन्न पदों पर महिलाएं पदाधिकारी हैं पर कार्यक्रम में उनके पति व पुत्र आदि सक्रिय दिखाई दिए । निर्वाचित महिलाएं चुपचाप मूर्ति व शोपिश की तरह हमेशा की तरह बैठी दिखाई दी तो वही महिला नपाध्यक्ष के स्थान पर पूरे कार्यक्रम की तैयारी व आयोजन पति प्रतिनिधि द्वारा संभाला गया । अनावरण व सामाजिक सम्मेलन के कार्यक्रम का स्वयं सर्वे सर्वा रहे । इन कार्यक्रमो में कुछ पत्रकारों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया । अपने खड़मखास व चहेते पत्रकारों को विज्ञापन के माध्यम से खुश किया गया तो वही विरोधी पत्रकारों को न आमंत्रित किया गया और न ही विज्ञापन मे सहयोग किया गया ।
अनावरण कार्यक्रम में पत्रकारों को कवरेज करने के लिए बैठक व्यवस्था नही होने से नाराज पत्रकारों ने कार्यक्रम का बहिष्कार का निर्णय लिया पर कुछ चापलूस पत्रकारों ने इन पत्रकारों का साथ नही दिया । बात जब उप मुख्यमंत्री तक पहुंचाने जा प्रयास किया गया तो उन्हें जाने से रोक गया । बाद ने उपमुख्यमंत्री से साक्षात्कार में नाराजगी व्यजत करते हुवे पत्रकारों को सम्माम दिए जिसने का निर्देश दिया ।

उपमुख्यमंत्री के इस बाइट का समाचार नही चलाने के लिये एक पत्रकार को पैसे देने का ऑफर भी किया गया ।किंतु इसके बावजूद उक्त पत्रकार द्वारा समाचार चलाकर इनकी पोल खोली गई । पत्रकारों को बैठने की व्यवस्था से आक्रोशित पत्रकारों ने जब आपत्ति दर्ज कराई तो पुलिस अधिकारी व पत्रकारों के बीच काफी तीखी बहस हो गई । जिसे स्वयं उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने संज्ञान में लिया व अधिकारियों को निर्देश दिया कि चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों के लिए समुचित व्यवस्था किये जाने का ध्यान रखा जाये ।
कल एक आदमकद मूर्ति के लोकार्पण अवसर पर ही इतना कुछ हो गया की किसी बड़े आयोजनों में इतना नही होता । भारी अव्यवस्था , आमंत्रण देने में पक्षपात , जबरदस्त वसूली , पत्रकारो के साथ तीखी बहस , महिला सशक्तिकरण का मजाक , महिला प्रतिनिधि के नाम पर उनके प्रतिनिधि सक्रिय , उप मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप , विपक्षी नेताओं की अवैध रूप से गिरफ्तारी , गौरबपथ की पोल न खुल जाए इसे देखते हुवे रास्ता बदलने जैसे अनेक जैसी कमियों ने प्रशासन व आयोजको की भारी पोल खोल दी ।

नगर में सफाई व्यवस्था कितनी लचर व कमजोर है यह सर्वविदित है । किंतु मंत्रियों के आने के पहले नगरपालिका की कार्यप्रणाली पर भी नगरवासी अचंभित व आश्चर्यचकित हैं । नगर में कई दिनों तक न सफाई होती है न ही ढेर हो चुके कचरों को उठाया जाता है । पर मंत्रियों के आने के पूर्व नगरपालिका की सक्रियता गजब की थी । कार्यक्रम आयोजन स्थल से लेकर नई मंडी तक भरी बरसात में नगर के सड़को में सफाई मित्रों से झाड़ू लगवाया गया तो वही डिवाइडर के किनारे महीनों से जमी मिट्टियों को मशीन के द्वारा हटाया गया मंत्रियों व आंगतुकों को नगर की सफाई व स्वच्छता दिखाने का ढोंग रचा गया ।
इस कार्यक्रम में सरकार व स्थानीय नेताओं की दबंगई व लोकतंत्र की हत्या किए जाने की भी असफल कोशिश की गई । मंत्रियों को ज्ञापन दिए जाने से भी रोका गया , रोका ही नही गया बल्कि पुलिस को बुलाकर उन्हें थाना तक मे बैठा दिया गया । यह सब सत्ताधारी नेताओ के इशारों पर किया गया । आम जनता , पार्टी नेताओ या कार्यक्रताओं को मंत्रियों व अधिकारियों को ज्ञापन दिए जाने का उनका अधिकार है किंतु विरोधी पार्टी के होने व आम जनता को गौरवपथ निर्माण में भारी भ्रष्टाचार व साफ सफाई किये जाने से सम्बंधित ज्ञापन दिए जाने से रोकना यह लोकतंत्र की हत्या के समान है । आयोजको द्वारा प्रशासन से मिलकर एक ओर ज्ञापन देने से रोकने हेतु जो जहां था उन कॉन्ग्रेसजनो को वहीं से पुलिस द्वारा उठा लिया गया । इस चक्कर मे एक निर्दोष दुकानदार को भी थाने में बैठा दिया गया ।
गौरवपथ में हो रहे अनियमितताओं व भ्र्ष्टाचार की शिकायतों व अधूरे निर्माण को कहीं मंत्री गण देख न लें या कोई स्पॉट पर शिकायत न कर दें जिससे इस पर कही मंत्री जी संज्ञान में न ले लें इसे ध्यान में रखते हुवे अटल परिसर में अनावरण के बाद उन्हें नवीन विश्राम गृह ले जाने के बाद फोर लेन से बैतारी व वापस मंडी कार्यक्रम स्थल घुमाकर लाया गया जबकि अनावरण स्थल से मंडी की दूरी अधिकतम 2 किलोमीटर है व सीधा गौरवपथ होकर जाने के बजाय उन्हें अपनी कमजोरी ढंकने के लिए जबरन 7-8 किलोमीटर दूर घुमाया गया ।

जिसके चलते नगर के अंदर मंत्री जी का स्वागत करने एक समाज के पदाधिकारीगण सड़क किनारे घंटो इंतजार करने के बाद उन्हें मंडी बुलाकर उनसे स्वागत कराया गया ।
नई मंडी परिसर में कार्यकर्ताओं के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी । अटल परिसर से इन कार्यकर्ताओ को मंडी लेकर जाने के लिए निजी शिक्षण संस्थाओं की स्कूल वाहनों का उपयोग किया गया । न चाहते हुवे भी सत्ता व प्रशासनिक दबाब के चलते उन्हें स्कूल वाहनों को उपलब्ध कराना पड़ा ।
इन कार्यक्रमो के आयोजनों के लिए विभिन्न पंचायतो व अधिकारियों से भी अवैध वसूली की चर्चाएं जोरो पर है । इस जुगाड़ में माहिर एक पार्टी प्रतिनिधि जो कि एक मंत्री जी के खासमखास बताये जाते है व उनके एक रिश्तेदार द्वारा इसका प्रयास किया गया था । किंतु अवैध वसूली का समाचार प्रकाशित होने के बाद वसूली को स्थगित कर दिया गया । ज्ञातव्य हो की जनपद पंचायत परिसर में कुछ माह पूर्व शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम में भी इसी तरह की अवैध वसूली की शिकायतें आई थी ।
इस तरह के कार्यक्रम आयोजनों से यह तो स्पस्ट ह्यो गया है कि किस तरह आयोजको द्वारा पार्टी व सत्ता का दबाव बनाते हैं व लाखो रुपये विभागों , पंचायत प्रतिनिधियों व अधिकारियों से अवैध वसूली करते हैं ।