Rahul Gandhi : क्षेत्रीय पार्टियों पर राहुल का निशाना क्यों?
Rahul Gandhi : क्षेत्रीय पार्टियों पर राहुल का निशाना क्यों? यह हैरान करने वाली बात है कि राहुल गांधी ने एक बार फिर क्षेत्रीय पार्टियों को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा है किसी भी क्षेत्रीय पार्टी के पास राष्ट्रीय दृष्टि नहीं है, वे एक समुदाय या राज्य की दृष्टि का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन देश का नहीं। विपक्ष की ओर से कांग्रेस को राष्ट्रीय दृष्टि और विचार का एकमात्र प्रतिनिधि बताने के लिए उन्होंने विपक्ष को निशाना बनाया।
Rahul Gandhi : कुछ दिन पहले भी उन्होंने यह बात कही थी। तब कई क्षेत्रीय पार्टियों ने इस पर आपत्ति जताई थी। लेकिन दूसरी बार में सब चुप रहे हैं। इससे लगता है कि उन्होंने इस बात को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं समझी। असल में ऐसी बातों से राहुल राजनीतिक विचारधारा के धरातल पर अपनी बातों की गंभीरता खोते जा रहे हैं।
Rahul Gandhi : क्या उनको अंदाजा है कि राज्यों की दृष्टि क्या होती है और वह राष्ट्रीय दृष्टि से कैसे भिन्न होती है? राष्ट्रीय दृष्टि क्या राज्यों की दृष्टि से ही मिल कर नहीं बनती है? राज्यों के नागरिक क्या राष्ट्र के नागरिक नहीं होते हैं?
Rahul Gandhi : क्या उनको अंदाजा नहीं है कि राष्ट्र की बहस में पडऩे से कांग्रेस को क्या नुकसान हो सकता है? असल में हर नागरिक भारत राष्ट्र राज्य का नागरिक है, हर राज्य राष्ट्र का हिस्सा है और हर क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय दृष्टि का प्रतिनिधित्व करती है। अगर राहुल गांधी और कांग्रेस आदिवासी को इस देश का मालिक बता रही है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की पूरी राजनीति इसी की है।
वह भी आदिवासी को जल, जंगल, जमीन का मालिक मान कर उसके अधिकार की लड़ाई लड़ती है। कांग्रेस से बेहतर तरीके से दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां पिछड़ों और दलितों की लड़ाई लड़ती हैं।
Rahul Gandhi : सीमावर्ती राज्यों को राज्य के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अलर्ट रहना होता है। जहां तक भाजपा से लडऩे की बात है तो ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के मुकाबले बेहतर लड़ाई लड़ रही हैं, भाजपा को चुनौती दे रही हैं और उसे हरा भी रही हैं। कांग्रेस की खुद की राजनीति इन क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे चल रही है। इसलिए उन्हें इस बारे में सोच समझ कर बोलना चाहिए।